लिकोरिया ट्रीटमेंट: सफेद पानी का उपचार और बचाव

लिकोरिया या (ल्यूकोरोहाइए) एक मोटा, सफेद या पीला योनि स्राव है। लिकोरिया के कई कारण होते हैं, सामान्य एस्ट्रोजन असंतुलन होने के कारण होता है, लिकोरिया का उपचार उसके कारणो के आधार पर किया जाता है।

यदि योनि स्राव खराब या गंध के साथ है सफेद या पीले रंग का मोटा तरल है, तो इसे लिकोरिया कहा जाता है। लिकोरिया, वह स्त्री रोग है जिसमें योनि से मोटा सफेद-पीला, चिपचिपा, बदबूदार आसामान्य डिस्चार्ज होता है। इसमें योनि से निकलने वाले वे सभी आसामान्य डिस्चार्ज शामिल है जिसमें ब्लड नहीं होता।

योनि से स्राव होना बहुत ही सामान्य है। हर महिला में समय-समय पर कुछ सामान्य योनि डिस्चार्ज होता है, जो कि योनि की मांसपेशियों के रासायनिक संतुलन और लचीलेपन को बनाए रखता है। यह योनि के लिए सामान्य रक्षात्मक प्रणाली के रूप में काम करता है। योनि स्राव की प्रॉपर्टी महिलाओं की उम्र के अनुसार बदलती है।

योनि का स्राव कभी-कभी पानी की तरफ होता है तो कभी कभी यह चिपचिपा और मोटा होता है। कुछ हद तक योनि डिस्चार्ज सामान्य और स्वस्थ होता है क्योंकि वे प्रजनन अंगों और अन्य विषाक्त जीवों की मृत कोशिकाओं को बाहर निकाल देता है। स्वस्थ महिलाओं में डिस्चार्ज का रंग सफेद होता है। सेक्स के समय उत्तेजना होने पर योनि स्राव से योनि गीली रहती है और पेनिस के पेनेट्रेशन में आसानी होती है रगड़ नहीं होती। साथ ही यह म्यूकस स्पर्म को आगे बढ़ने में मदद करता है। गर्भावस्था के शुरू में भी योनि से एक सफ़ेद सा म्यूकस निकलता है जो देखने में पनीर जैसा होता है। यह स्राव शरीर में हॉर्मोन के बढ़ने के कारण से होता है और पूरी तरह से सामान्य है। इसी तरह यौवन के शुरू में जब मासिक आने शुरू होते हैं तो योनि से सफ़ेद दूध जैसा स्राव होता है जो सामान्य है और इसका कारण भी शरीर में हॉर्मोन की अचानक से होने वाली वृद्धि है। यदि सामान्य योनि स्राव में समय के साथ दिखने, बनावट आदि बदलाव आता है, इसमें बदबू होती है तो यह किसी रोग का लक्षण हो सकता है। आसामान्य स्राव रोग का लक्षण है।

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यह असामान्य योनि स्राव रंग में सफेद, पीले, लाल और काले रंग का हो सकता है और संक्रमण, कैंसर या कुछ अन्य कारणों के कारण हो सकता है। यदि यह लगातार होता है तो वैजिनाइटिस और सर्विसाइटिस के कारण से हो सकता है। बार्थोलिन डक्ट या स्केनेज़ डक्ट अबसेस से होने वाला डिस्चार्ज लगातार नहीं होता और रुक रुक कर आता है। डिस्चार्ज में यदि पस, बदबू, है और गुप्तांग में खुजली है तो ऐसा किसी संक्रमण से हो सकता है। योनि में फंगल या यीस्ट इन्फेक्शन होने से भी आसामान्य डिस्चार्ज हो सकता है।

योनि से निकलने वाला यह स्राव कई जगहों जैसे की बार्थोलिन डक्ट, स्केनेज़ डक्ट, वेजाइनल म्युकोसा, इंडोमेट्रियम, इंडोसर्विक्स या फलोपियन ट्यूब से हो सकता है। ज्यादातर मामलों में लिकोरिया इंडो सर्विसाइटिस endocervicitis (गर्भाशय ग्रीवा की सूजन) या वैजिनाइटिस Vaginitis (योनि की सूजन) से होता है। इस सफेद निर्वहन में बलगम होता है जो सामान्यतः गर्भाशय ग्रीवा और योनि की दीवारों में ग्रंथियों द्वारा निर्मित होता है।

योनि से डिस्चार्ज किस तरह से हो रहा है इससे लिकोरिया को अधिक जानने में मदद हो सकती है। योनि से सफेद निर्वहन की निरंतरता, रंग, और गंध में किसी भी तरह का परिवर्तन एक विकार का संकेत हो सकता है। उदाहरण के लिए, फंगल और बैक्टीरिया संक्रमण से सफेद दूधिया स्राव का कारण पीला, हरा या भूरा हो सकता है। कुछ मामलों में, योनि में खमीर संक्रमण होने पर सफेद मक्खनयुक्त थक्के जैसा हो सकता है।

लिकोरिया को और किन नामों से जानते हैं?

लिकोरिया को निम्न नामों से जानते हैं:

  • leucorrhoea
  • सफ़ेद पानी की समस्या
  • श्वेत प्रदर
  • वाइट डिस्चार्ज
  • योनि से सफ़ेद पानी आना

Leucorrhoea लिकोरिया क्या है?

लिकोरिया एक स्त्री रोग है।

यह आमतौर पर महिला गुप्तांग से पीला सफेद द्रव स्रावित होने की समस्या के तौर पर परिभाषित किया जाता है।

सामान्य रूप से normally योनी से हमेशा म्यूकस डिस्चार्ज mucous discharge होता है जो की सर्विकल, एंडोमिट्रियल ग्लैंड तथा अच्छे बैक्टीरिया के कारण होता है। सामान्य स्राव में योनी से निकलने वाला पदार्थ सफ़ेद या पानी जैसा होता है। इसमें कोई बदबू नहीं होती। यह केवल ओवूलेशन ovulation, प्रेगनेंसी pregnancy या सेक्स sexual arousal के दौरान ही ज्यादा मात्रा में निकलता है। बाकी समय यह काफी कम मात्रा में निकलता है। योनी से होने वाला सामान्य स्राव, जनन अंगों की सफाई cleaning, और स्नेहन lubrication करता है। यह स्राव योनीको इन्फेक्शन से भी बचाता है।

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असामान्य योनि स्राव रंग सफेद, पीले, लाल और काले रंग का हो सकता है। यदि यह मोटा, चिपचिपा, सफेद या पीला बदबू युक्त यह है, तो चिकित्सा जांच आवश्यक है। अगर डिस्चार्ज लगातार हो रहा है और इ सके लिए पैड की आवश्यकता होती है या यह सफेद नहीं है, लेकिन ग्रे-सफ़ेद, पीला, हरा, भूरा या जंग के रंग का है साथ में खुजली है, तो इस स्थिति को गंभीर उपचार को ज़रूरत है।

लिकोरिया का वर्गीकरण

सामान्य तौर पर लिकोरिया दो प्रकार का होता है

  1. शारीरिक Physiological leucorrhoea
  2. सूजन के कारण Inflammatory Leucorrhoea

Physiological leucorrhoea

यह लगभग हर महिला में होता है। यह योनि के रासायनिक संतुलन और ऊतक के लचीलेपन को बनाए रखने के लिए तथा योनि की प्राकृतिक रक्षा तंत्र के कारण होता है। इसे Physiological कहा जाता है क्योंकि योनि स्राव तब होता है जब एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ जाता है। जब योनि स्राव पतला, बिना गंध का, स्पष्ट, श्लेष्म की तरह होता है और बाद में इसकी मात्रा में वृद्धि नहीं होती तो यह सामान्य माना जाता है और इसलिए इसके बारे में चिंतित होने की जरूरत नहीं है।

सूजन से लिकोरिया Inflammatory Leucorrhoea

इस प्रकार का लिकोरिया तब होता है जब योनि के अंदर सूजन या कंजेशन होअतहै। प्रभावित क्षेत्र से पीला स्राव जिसमें बदबू होती है निकलता है और किसी तरह से संक्रमण को इंगित करता है।

इस प्रकार की लिकोरिया में यौन संचारित बीमारियों के कारण होने वाला योनि स्राव और प्रसव के बाद होने वाला लिकोरिया भी शामिल है।

  • योनि स्राव के अनुसार लिकोरिया का वर्गीकरण पांच प्रकार का है:
  • क्लिटोरल डिस्चार्ज Clitoral discharge: भगशेफ के बाह्य भाग से स्राव
  • आंतरिक योनि स्राव Internal vaginal discharge: योनि के आंतरिक भाग से स्राव
  • सरवाइकल निर्वहन Cervical discharge: गर्भाशय ग्रीवा से स्राव
  • गर्भाशय का निर्वहन Uterine discharge: गर्भाशय से स्राव
  • डिम्बग्रंथि डिस्चार्ज Ovarian discharge: अंडाशय से स्राव
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लिकोरिया के लक्षण क्या हैं?

सक्रमण के कारण होने वाला लिकोरिया पीले रंग का होता है और बहुत खराब गंध वाला होता है। रोग के मुख्य लक्षण अत्यधिक योनि स्राव, जांघों और काफ की मांसपेशियों में दर्द और पेशाब में जलन आदि है। लिकोरिया के साथ योनि में सूजन, सूजन और अत्यधिक खुजली का अनुभव होता है। सिरदर्द और पीठ दर्द लिकोरिया का एक अन्य आम लक्षण है।

निम्न लक्षणों से पता लगता है कि स्राव सामान्य नहीं है:

अत्यधिक योनि स्राव के साथ बीमारी के अन्य लक्षण जुड़े हैं,

  • सांस फूलना
  • सिरदर्द और चक्कर आना
  • खट्टी डकार
  • पीलापन
  • एनोरेक्सिया
  • माहवारी में दर्द
  • सामान्य कमज़ोरी
  • बहुमूत्रता Polyuria
  • निचले पेट में दर्द और भारीपन
  • कब्ज
  • खून की कमी
  • स्थानीय व्यथा
  • लूम्बेगो
  • अस्वस्थता
  • खुजली आदि।

सफेद पानी आने का कारण क्या है?

लिकोरिया को रोगी की उम्र, डिस्चार्ज के प्रकार, डिस्चार्ज देखने में कैसा है और कहाँ से डिस्चार्ज हो रहा है इसके आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। लिकोरिया की समस्या किसी भी उम्र की फीमेल में देखी जा सकती है।

बच्चे में यह gonococcal vulvovaginitis की कारण होता है।

लड़कियों में योनि स्राव शरीर में अन्य परिवर्तनों के साथ होता है।  हार्मोन के बढ़ने के कारण शरीर में होने वाले बड़े बदलावों में अंडरमर्स और प्यूबिक क्षेत्र में बालों का विकास, वजन और ऊंचाई में वृद्धि , आवाज में परिवर्तन, स्तनों का बढ़ा हो जाना, माहवारी आना आदि होने लगता है। साथ ही लिकोरिया भी होना बहुत ही आम है। शारीरिक निर्वहन एक है जहां एक सफेद चिपचिपा निर्वहन, स्थिरता में पतली, लगातार होता है। इसके प्रमुख कारण हार्मोनल असंतुलन से युवा लड़कियों में होने वाला स्राव सफेद चिपचिपा और लगातार होता है। एस्ट्रोजेन महिला हार्मोन तेजी से इस प्रकार से योनि स्राव को बढ़ाता है।

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मासिक धर्म चक्र के दौरान उचित स्वच्छता नहीं रखने से भी संक्रमण हो सकता है जिससे यह समस्या हो सकती है।

कुपोषित होने से एनीमिया और अन्य पोषक तत्वों की कमी का खतरा बढ़ जाता है , जो लड़कियों में लिकोरिया के कारणों में से एक हो सकता है।

योनि के संक्रमण जैसे फंगल संक्रमण, क्लैमाइडिया या ट्राइकोमोनस में भी लिकोरिया हो जाता है।

युवा लड़कियों में लिकोरिया अत्यधिक यौन इच्छा और हस्तमैथुन से भी हो सकता है।

हार्मोनल असंतुलन गंभीर मानसिक तनाव और आघात के कारण भी यह समस्या हो सकती है।

सफेद पानी बीमारी के कुछ कारक हैं:

  • प्रारंभिक गर्भावस्था
  • मासिक धर्म
  • महिला जननांग अंगों का संक्रमण
  • रासायनिक गर्भ निरोधकों, अंतर्गर्भाशयी उपकरणों, आदि के उपयोग के कारण
  • बैक्टीरिया, कवक या परजीवी से संक्रमण – प्रोटोजोआ
  • मूत्र पथ से संक्रमण का फैलना
  • गर्भाशय की सूजन
  • योनि, गर्भ या गर्भाशय ग्रीवा की चोट
  • एलर्जी या सकांटेक्ट डर्मेटाईटिस
  • श्रोणि सूजन की बीमारी
  • महिलाओं द्वारा प्रयुक्त गर्भ निरोधक
  • मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता नहीं रखने से
  • सूजाक
  • गाउट
  • उपदंश
  • गर्भाशय का डिस्प्लेसमेंट
  • गठिया
  • आंत्र ज्वर
  • मधुमेह और एनीमिया
  • कमजोर प्रतिरक्षा के कारण संक्रमण
  • मानसिक चिंता या यौन हताशा
  • यीस्ट/ खमीर, कवक संक्रमण
  • ट्राईकोमिनास Trichomoniasis
  • गंदे शौचालय का इस्तेमाल
  • गर्भ के अंतिम संकीर्ण हिस्से से संबंधित समस्याएं,गर्भ के सिर पर छाला या सूजन
  • पेट के नीचे के हिस्से में सूजन
  • विभिन्न बीमारियां जैसे टीबी और एनीमिया, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली
  • तनाव या अवसाद, दबाव या निराशा
  • हार्मोनल अनियमितताओं
  • आहार में त्रुटियां, जैसे चाय और कॉफी का अधिक सेवन
  • शराब और धूम्रपान
  • चिकित्सा की स्थिति जैसे एनीमिया, तपेदिक आदि।

लिकोरिया का इलाज़ क्या है?

लिकोरिया एक गंभीर स्थिति नहीं है और कुछ उपायों के द्वारा, इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है। रोग के कारण के पता होने पर ही सटीक इलाज संभव है।

उदाहरण के लिए यदि स्राव पतला-पीला, योनि में खुजली के साथ है तो यह ट्राइकोमोनास हो सकता है। ट्रायकॉमोनास वेजिनेलिस एक एनारोबिक, झिल्लीदार प्रोटोजोअन संक्रामक परजीवी के कारण होता है। इस एकल कोशिकाय प्रोटोजोअन परजीवी से योनि में सूजन होती है। ट्राइकोमोनाइसिस, से में एक बदबू दार योनि स्राव, जननांग खुजली और पेशाब में दर्द आदि लक्षण होते हैं। इसके उपचार में निश्चित ओरल एंटीबायोटिक की एक बड़ी डोज़ दी जाती है।

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सूजाक Gonorrhea में होने वाला स्राव बदबूदार और मवाद युक्त होता है। इसमें भी पेशाब में जलन होती है। गोनोरिया, बैक्टीरियल जीवाणु के द्वारा संचरित यौन संक्रमण (एसटीआई) है। यह प्रजनन अंगों का संक्रमण है और यदि इसका जल्दी इलाज नहीं कराया जाता तो यह जटिलताओं का कारण हो सकता है और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं में बदल सकता है। गोनोरिया को दो तरह के एंटीबायोटिक से ट्रीट किया जाता है, इंजेक्शन और सिंगल डोज़ टेबलेट्स। यदि यह इलाज़ ठीक से किया जाए तो करीब 95 प्रतिशत प्रभावशाली है। यह ज़रूरी है की इंजेक्शन और एंटीबायोटिक दोनों ही लिए जाएँ।

मोनिलिया Monilia or Candida albicans एक प्रकार का यीस्ट / खमीर संक्रमण है। । यह संक्रमण तब होते हैं जब खमीर, कैंडिडा, योनि में अत्यधिक बढ़ती है। गर्भावस्था, संभोग, एंटीबायोटिक और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली सभी महिलाओं में इसके होने ही संभावना को बढ़ा देते हैं। खुजली और जलन के अलावा, इसमें योनि से सफ़ेद, थिक, डिस्चार्ज भी होता है। यह डिस्चार्ज देखने में सफ़ेद और लम्प में होता है। इसके लिए एंटिफंगल दवा जैसे की फ्लुकोनाज़ोल Fluconazole दी जाती है।

बैक्टीरियल वेजीनोसिस Bacterial Vaginosis में एक तरह के बैक्टीरिया की संख्या योनि में बहुत अधिक बढ़ जाती है। बैक्टीरियल वेजिनोसिस में योनि में दर्द, खुजली, आसामान्य डिस्चार्ज होने लगता है। अक्सर सेक्स के बाद बदबूदार fishy discharge योनि से स्रावित होता है। देखने में यह स्राव सफ़ेद या ग्रे रंग का होता है और पतला पानी जैसा होता है। इसमें लिए एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं।

सही कारण के लिए प्रयोगशाला परीक्षणों के लिए मूत्र का नमूना अथवा योनि vaginal swab से एक नमूना लेकर परीक्षण करने के लिए लैब भेजा जा सकता है। टेस्ट के आधार पर ही इलाज़ किया जाता है।

सभी के लिए एक कॉमन उपचार नहीं हो सकता। इसलिए सही डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट के लिए डॉक्टर से मिलना ज़रूरी है।

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यदि बैक्टीरियल इन्फेक्शन है तो एंटीबायोटिक दिए जाते हैं, फंगस-यीस्ट में एंटीफंगल क्रीम या गोलों दी जाएगी, यौन संचारित रोग है तो लक्षणों के आधार पर एंटीवायरल या एंटीबक्टेरियल इलाज किया जाएगा।

लिकोरिया के इलाज़ / बचाव के कुछ तरीके

लिकोरिया का इलाज करने के लिए सबसे सामान्य और सरल तरीकों में से एक है मासिक धर्म के दौरान और हर दिन योनि की उचित स्वच्छता पर ध्यान देना है। मासिक के समय टैम्पून को योनि के अन्दर डालने से योनि में इन्फेक्शन की सम्भावना रहती है जिससे योनि में सूजन, खुजली और स्राव होता है। इसलिए केवल सैनिटरी नैपकिन या पैड को ही इस्तेमाल करें तो बेहतर हैं।

  • योनि में गन्दी ऊँगली या किसी भी अन्य तरह का सामान जैसे कैंडल, सेक्स टॉय, आदि नहीं डालना चाहिए। गन्दी ऊँगली डालने से फंगल या यीस्ट इन्फेक्शन हो सकता है।
  • यौन रोगों से बचने के लिए किसी इन्फेक्टेड व्यक्ति के साथ सेक्स नहीं करें। यदि पति कोई एसटीडी है तो साथ में उसका इलाज़ भी चलेगा।
  • योनि को बारबार साबुन से साफ़ नहीं करना चाहिए। इससे योनि का नेचुरल पीएच् गड़बड़ा जाता है।
  • कॉटन के ढीले और साफ़ अंडरगारमेंट्स पहनने चाहिए।
  • योनि में कोई भी उत्पाद जैसे सुगंधित साबुन और स्प्रे, जेली, आदि प्रयोग नहीं करना भी मदद करता है।
  • निचोड़ा हुआ नींबू का रस और पानी के साथ योनि क्षेत्र को साफ करें।

लिकोरिया में खान-पान और परहेज: आहार कारक leucorrhea में एक प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। आहार खाने में हरी पत्तेदार सब्जियां, फलों और डेयरी उत्पाद का सेवन भी मददगार है। मुख्य रूप से फल और सब्जियों विशेष रूप से केला, क्रैनबेरी, नारंगी, नींबू, काले प्लम, भिन्डी, पत्तेदार साग, प्याज, भूरा चावल, दही, साथ ही जड़ी-बूटियों और मसालों जैसे अदरक, लहसुन, मेथी और धनिया आदि खाने चाहिए। दैनिक आधार पर एक या दो पके केले खाएं। ताज़ा क्रैनबेरी रस का एक गिलास पियें। बहुत से खाद्य पदार्थ हैं जिन्हें नहीं खाना चाहिए जैसे अंडे, मांस, रोटी, मशरूम, मिठाई और अन्य खाद्य पदार्थ शामिल हैं जिन्हें किण्वित किया गया है।

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गर्भावस्था और लिकोरिया

गर्भावस्था के दौरान किसी भी प्रकार की योनि स्राव के कारण महिला को अधिक चिंता हो सकती है। हालांकि, सफेद योनि स्राव गर्भावस्था का संकेत है, जो बहुत सामान्य है। इसका अनुभव ज्यादातर महिलायें करती हैं। ऐसा योनि क्षेत्र में रक्त के प्रवाह में वृद्धि के कारण होता है। शरीर के हार्मोनल स्तरों में भारी उतार-चढ़ाव गर्भावस्था में सफ़ेद पानी की समस्या के लिए जिम्मेदार हो सकता है। फिर भी, महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है कि वे अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

समस्या की पहचान, लक्षणों के अनुसार ही इलाज़ किया जाता है। हर तरह के लिकोरिया के लिए एक ही इलाज़ नही होता। हर रोगी के लिए इलाज़ अलग हो सकता है। जिन्हें आंतरिक समस्या होती है उनमें बाहरी इलाज़ से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। जब तक सही कारण नहीं पता लग जाता तब तक सही इलाज़ हो पाना संभव नहीं है। सही इलाज के लिए डॉक्टर से राय लें।

Leucorrhea / leucorrhoea or Leukorrhea, is discharge of whitish, yellowish, or greenish discharge from the vagina. Vaginal discharge may be physiological or pathological.

Leucorrhoea could be physiological when associated with various phases of menstrual cycle or due to cervical/vaginal inflammation or diseases. Physiologic leucorrhoea is caused by congestion of the vaginal

mucosal membranes due to hormonal stimulation. This may occur during ovulation and pregnancy.

Pathologic discharge is different from normal discharge. It is usually due to infections of the upper and lower female genital tract. It can be due toinfection with Trichomonas vaginalis, Candida albicans or mixed bacterial infections, chronic cervicitis,

cervical dysplasia, malignancy, or due to senile vaginitis Gynecological procedures like intra uterine contraceptive device insertion, dilatation and curettage and obstetric delivery may also be the responsible factors.

The etiology of leucorrhoea is complex and not well understood. It is considered that changes in the vaginal epithelium, changes in the normal bacterial flora and pH of the vaginal secretion predispose to leucorrhoea. Chronic illness, fatigue, malnutrition, emotional disturbances, chronic retroverted uterus, congestive cardiac failure, gonococcal and monilial infections, vulvovaginitis, lesions of the vaginal wall and uterine cervix have all been associated with leucorrhoea.

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Treatment of leucorrhoea is based on the underlying reason. For right diagnosis and treatment consult doctor. You may not be benefitted from external treatment only or wrong internal treatment. Depending on cause antibacterial, antibiotics, anti-fungal or other medicines would be required.

One Comment

  1. I had leucorrhoea problem. My friend suggested me hashmi lady care capsule for 2 months and found great results.

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