कॉपर टी गर्भनिरोधक के बारे में पूरी जानकारी

कॉपर टी एक इंट्राब्रायटर डिवाइस है जिसका उपयोग महिलाओं में जन्म नियंत्रण के लिए किया जाता है। यह विधि आमतौर पर उन महिलाओं के लिए होती है जिन्होंने हाल ही में एक बच्चे को जन्म दिया है। तांबे-टी की स्थापना की प्रक्रिया बहुत संवेदनशील है, इसलिए इस पर केवल विश्वसनीय चिकित्सा विशेषज्ञों की पहुंच होनी चाहिए। यह डिवाइस एक महिला के गर्भाशय में डाली जाती है।

कॉपर टी एक गर्भनिरोधक है। यह अन्तरागर्भाशयी उपकरण / इंट्रायूट्रीन डिवाइस है, जिसे महिलाओं के गर्भाशय में लगाया जाता है। यह बच्चों में अंतर रखने का तरीका है और अकसर एक बच्चा होने के बाद इस्तेमाल किया जा सकता है।

कॉपर टी

कंडोम, फीमेल कंडोम आदि भी गर्भनिरोधक के उदाहरण हैं लेकिन इन्हें हर सम्भोग के पहले बच्चा ठहरने से रोकने के लिए इस्तेमाल करते हैं। गर्भनिरोधक गोली को तो रोज लेना होता है। असुरक्षित सेक्स से प्रेगनेंसी हो सकती है जिससे कई जटिलताएं और मानसिक परेशानियां हो सकती हैं। कॉपर टी, को लगवाने के बाद आपको हर सेक्स से पहले कॉन्ट्रासेप्शन के बारे में नहीं सोचना पड़ता। ये इसका सबसे बड़ा फायदा है। लेकिन इसको लगवाने के बाद आपको कई दिक्कतें हो सकती है। ऐसा ज़रूरी तो नहीं है लेकिन ऐसा हो सकता है। इसलिए कॉपर टी लगवानी है या नहीं, इस बात का निर्णय करने से पहले सारी जानकारी जुटा लें और फिर निर्णय लें।

इस पेज पर कॉपर टी क्या है, इसे कैसे योनि में फिर करते हैं, निकालते हैं, तथा इसके क्या फायदे और नुकसान है के बारे में विस्तार से बताया गया है।

कॉपर टी या मल्टी-लोड Multi-Load and Copper T क्या है?

कॉपर टी या मल्टी-लोड आईयूडी हैं । देखने में, ये डिवाइस अंग्रेजी के T अक्षर जैसी होती है और इसमें कॉपर होता है, इसलिए इसे कॉपर टी कहा जाता है। मल्टी-लोड एंड कॉपर टी गर्भनिरोधक गर्भनिरोधक उपकरणों (आईयूसीडी) हैं और वे गर्भावस्था को रोकने के लिए गर्भाशय में डालने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।

यह प्लास्टिक का बना होता है जिस पर तांबे / कॉपर का पतला तार लिपटा होता है। इसे महिला के गर्भाशय में फिट कर दिया जाता है जिससे गर्भ न ठहरे। कॉपर-टी बिना हॉर्मोन या हॉर्मोन युक्त levonorgestrel होती है।

कॉपर-टी से एक तार जुड़ा होता है जो की गर्भाशय ग्रीवा से योनि तक लटकता है इसे कॉपर टी को निकालने में प्रयोग किया जाता है।

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ये डिवाइस शरीर के अंदर एक निश्चित समय के लिए छोड़ दिए जाते हैं। इन डिवाइस को डालने की तारीख से अधिकतम तीन से पांच वर्ष या 10 साल तक शरीर में रहने दिए जा सकता है।

इसे आपातकालीन गर्भनिरोधक विधि emergency contraceptive method के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन इसे डॉक्टर के पास जाकर करवाया जा सकता है। आईयूडी का टी-आकृति डिजाइन, निषेचित अंडे को गर्भाशय की परत के अंदरूनी सतह में चिपकने से रोकता है।

  • कॉपर टी और मल्टी-लोड की सफलता दर 98% है।
  • यह डिवाइस शरीर के भीतर गहरी स्थिति में होती है, इसलिए यह सेक्स में हस्तक्षेप नहीं करती।
  • ओरल गोलियों के विपरीत, इस प्रकार की गर्भनिरोधक के साथ, उम्र से जुड़ा कोई जोखिम नहीं है।
  • डिवाइस निकाली जाने के बाद महिला की फर्टिलिटी तुरंत वापस आ जाती है।
  • मासिक धर्म के बाद 5 से 7 दिन के बीच मल्टी लोड या कॉपर टी लगवाया जाता है।

इस समय बाजार में कई प्रकार की कॉपर टी उपलब्ध हैं। उनमें दो मुख्य प्रकार के आईयूडी हैं: गैर-हार्मोनियल- कॉपर टी आईयूडी और हार्मोनल-लेवोनोर्गेस्ट्रेल आईयूडी।

गैर-हार्मोनल कॉपर टी आईयूडी

गैर-हार्मोनिक कॉपर टी शरीर में कोई हार्मोन नहीं छोड़ती और इसे तांबे और प्लास्टिक के साथ बनाया जाता है। कॉपर से निकलने वाले आयन शुक्राणु को मारते है, अंडे तक पहुंचने और निषेचन से रोक कर काम करते है।

जैसे ही शरीर में इसे लगाया जाता है, तब से यह गर्भावस्था को रोकना शुरू हो जाता है। असल में, तांबे टी आईयूडी असुरक्षित संभोग के पांच दिनों के भीतर आपातकालीन गर्भनिरोधक की एक अत्यंत प्रभावी तरीका है।

एक बार लगने पर, यह 10 साल तक के लिए प्रभावी है।

हार्मोनल इंट्रॉब्ररिन डिवाइस (आईयूडी)

हार्मोनल आईयूडी में प्रोजेस्टीन लेवोोनोर्जेस्ट्रेल होता है। प्रोजेस्टिन गर्भाशय ग्रीवा बलगम को मोटा करता है और गर्भाशय की परत को पतला बनाता है। हार्मोनल आईयूडी को काम शुरू करने के लिए एक सप्ताह का समय लग सकता है, इसलिए आपको अपने स्वास्थ्यसेवा प्रदाता से पूछना चाहिए कि अगर आपको यौन संबंध रखने के लिए इंतजार करना चाहिए या इस बीच में बैक-अप गर्भनिरोधक पद्धति (जैसे कंडोम ) का उपयोग करना चाहिए।  हार्मोनल आईयूडी 3 से 5 वर्षों के लिए प्रभावी है।

  • कॉपर टी 200-बी सरकारी अस्पतालों में मुफ्त लगाई जाती है तथा इसकी अवधि 3 वर्षो के लिए होती है।
  • कॉपर टी 380-ए की अवधि 10 वर्षो के लिए होती है।
  • मल्टीलोड Multiload-250 की अवधि 5 वर्षो के लिए होती है। यह विदेशी होती है।
  • सिल्वर लिली की अवधि 7 वर्षो के लिए होती है।
  • कापर-7 की अवधि भी 7 वर्षो के लिए होती है।

कॉपर टी काम कैसे करती है?

कॉपर से निकलने वाले कॉपर आयन सर्वाइकल म्यूकस को गाढ़ा और चिपचिपा बना देते हैं, जिससे स्पर्म्स आगे न बढ़ पायें। इसके अतिरिक्त यह स्पर्म को नष्ट करते हैं और उनकी गतिशीलता घटाते हैं। निषेचित अंडाणु / भ्रूण गर्भाशय में कॉपर टी लगे होने पर आरोपित नहीं हो पाता।

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कापर टी लगाने की विधि या कॉपर टी कैसे लगती है? आईयूडी कैसे लगाया जाता है?

सबसे पहले, आपकी नर्स या डॉक्टर आपको अपने मेडिकल इतिहास के बारे में कुछ सवाल पूछेंगे।

डॉक्टर आपकी योनि, गर्भाशय ग्रीवा और गर्भाशय की जांच करेंगे। वे एसटीडी के लिए आपको जांच सकते हैं।

महिला को dorsal position में बताई जगह पर लेटने को कहा जाएगा। उसे पीठ के बल लेटना होगा और दोनों पैरों को घुटने से मोड़ कर रखने को कहा जाएगा। साथ ही दोनों पैरों को खोलने को कहा जायगा जिससे योनि दिखाई दे।

डॉक्टर ग्लव्स पहन कर योनि में ऊँगली डाल गर्भाशय की स्थिति देखते हैं।

आईयूडी को डालने के लिए, नर्स या डॉक्टर आपकी योनि में एक speculum लगाएंगे जिससे योनि फ़ैल जाए और अंदर फोल्ड हुई कॉपर टी डाल सकें।

फिर आईयूडी को योनि में एक स्पेशल इन्सेर्टर से डालेंगें।

कॉपर टी, योनि से गर्भाशय ग्रीवा से होते हुए गर्भाशय में लगा दी जाती है। इस प्रक्रिया में आमतौर पर पांच मिनट से कम समय लगता है।

कॉपर टी से जुड़ी 1 या 2 इंच लंबी स्ट्रिंग गर्भाशय ग्रीवा से, आपकी योनि में लटकती है जिससे इसे बाहर निकाला जा सके। योनि में अपनी उंगलियों को डालकर और ऊपर की ओप गर्भाशय ग्रीवाके पास आप उँगलियों से स्ट्रिंग महसूस कर सकते हैं।

कॉपर टी लगाते समय कुछ ऐंठन या दर्द महसूस होती है।

कुछ लोगों को आईयूडी के दौरान या इसके ठीक बाद में चक्कर आते हैं।

आईयूडी अपनी जगह से निकल सकता है। यह कभी भी हो सकता है, लेकिन यह पहले 3 महीनों के दौरान अधिक आम है।

पीरियड के दौरान आईयूडी निकल जाने की सबसे अधिक होने की संभावना है। अपने पैड, टैम्पोन, को चेक करें कि क्या यह गिर गया है।

कॉपर टी लगाने का समय

  • कॉपर टी बच्चा होने के करीब 6 सप्ताह के बाद लगवाई जा सकती है।
  • इसे पीरियड के बाद लगवा सकते हैं।
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आईयूडी कैसे निकाली जाती है?

  • आप इस डिवाइस को कभी भी निकलवा सकती हैं।
  • महिला को dorsal position में बताई जगह पर लेटने को कहा जाएगा। उसे पीठ के बल लेटना होगा और दोनों पैरों को घुटने से मोड़ कर खोलने को कहा जायगा जिससे योनि दिखाई दे।
  • डॉक्टर ग्लोव्स पहन कर योनि में ऊँगली डालते हैं।
  • नर्स या डॉक्टर योनि में स्ट्रिंग को खींचते हैं तो कॉपर टी फोल्ड हो जाती है और निकल जाती है।
  • कुछ महिलायों में यह आसानी से नहीं निकलती तो स्पेशल उपकरणों का इस्तेमाल करना पड़ता है।

कॉपर टी किसे नहीं लगवानी चाहिए?

कॉपर टी इन महिलाओं में नहीं लगाई जाती:

कॉपर टी का फायदा benefits of Copper T क्या है?

यह गर्भ रोकने में 98 प्रतिशत तक कारगर है। इसकों लगाने पर लगभग तीन साल या उससे अधिक समय तक गर्भ को होने से रोका जा सकता है।

  • इस डिवाइस के कारण परिवार नियोजन का उपाय महिला के हाथ में होता है।
  • महिला यदि दुबारा बच्चा चाहती है तो कॉपर टी को डॉक्टर के पास जा कर निकलवा सकती है और कुछ सप्ताह बाद बच्चे के लिए प्रयास कर सकती है।
  • आईयूडी कंडोम, गोली, पैच, रिंग, और शॉट से गर्भावस्था को रोकने में बेहतर है ।
  • आईयूडी गर्भावस्था को रोकने में सुरक्षित और प्रभावी है।
  • यह प्रकार के आधार पर 3 से 10 वर्षों के लिए काम करता है।
  • आपको गर्भनिरोधन के लिए कुछ भी याद रखना नहीं है।
  • इसे किसी स्वास्थ्य सेवा प्रदाता द्वारा किसी भी समय हटाया जा सकता है ।
  • कॉपर टी आईयूडी का इस्तेमाल असुरक्षित यौन संबंध के पांच दिनों के भीतर गर्भावस्था को रोकने के लिए आपातकालीन गर्भनिरोधक के रूप में भी किया जा सकता है ।
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कॉपर टी से कोई नुकसान या कॉपर टी के साइड इफ़ेक्ट क्या हो सकते हैं?

इसे लगवाने के लिए अस्पताल, डिस्पेंसरी अथवा क्लिनिक पर जाना होता है।

क्योंकि यह योनि के माध्यम से लगाई जाती है इसलिए डॉक्टर स्पेकुलम द्वारा योनि को फैलाते हैं।

कॉपर टी लगाए जाते समय स्ट्रोंग क्रंप / दर्द-मरोड़, का अनुभव होता है। इसे लगाते समय लोकल एनेस्थीसिया दिया जाता है और लगाने से एक घंटे पहले आईब्रुफेन लेने को कहा जाता है।

ऐसे ढेरों उदाहरण हैं जिनमें कुछ महिलाएं आईयूसीडी के उपयोग के बाद भारी और अधिक दर्दनाक पीरियड आने की शिकायत करती हैं। यह समस्या आम तौर पर यह स्थिति पांच-छः महीनों में ठीक हो सकती है ।

बहुत सी महिलाओं में बिना पीरियड ही योनि से असामयिक खून बहने लगता है। ऐसा आमतौर पर कॉपर टी लगाने के प्रारंभिक वर्षों में होता है।

कभी-कभी अन्य ओरल दवाओं को पीरियड को नियंत्रित करने के लिए देने की आवश्यकता हो जाती है।

  • पीरियड की अनियमितता
  • पीरियड के बीच में खून जाना
  • पीरियड में ज्यादा खून जाना
  • कमर में दर्द होना
  • मितली, उलटी आना
  • कॉपर टी का अपने आप निकल जाना
  • कुछ मामलों में गर्भाशय में चोट लग जाना

IUCD यौन संचारित रोगों को रोकने के लिए कुछ नहीं करते हैं। इसलिए यौन संचारित रोग से बचने के लिए कंडोम हमेशा अच्छी तरह से उपयोग करने के लिए सलाह दी जाती है।

  • इससे गर्भाशय में कट पड़ सकता है या छेद हो सकता है, जिससे संक्रमण हो सकता है।
  • कुछ पुरुषों को कॉपर टी की स्ट्रिंग के कारण सेक्स के दौरान दर्द होता है।
  • कॉपर टी लगवाते समय क्या ब्लीडिंग होती है और ज़रूरत पड़े तो पैड का प्रयोग करना चाहिए।
  • ब्लीडिंग कुछ दिन से लेकर कुछ सप्ताह तक जारी रह सकती है।
  • कुछ औरतों को कॉपर से एलर्जी हो सकती है जिससे गुप्तांगों में खुजली और दाने निकल आते हैं।
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आईयूसीडी से जुडी एक स्ट्रिंग होती है। यह इंगित करता है कि डिवाइस अपनी जगह पर है या नहीं। आम तौर पर,आईयूसीडी लगवाने के बाद होने वाले पहले पीरियड और बाद में प्रत्येक साल एक बार जांच करनी होगी।

लगवाने के कुछ दिनों के बाद और कभी-कभी सेक्स के दौरान महिला को दर्द हो सकता है। 5 प्रतिशत महिलाओं के अनुसार उन्हें कॉपर टी से जुडी स्ट्रिंग महसूस होती है। यदि यह स्ट्रिंग वजाईना से ज्यादा निकली हो तो इसे छोटा किया जाना चाहिए। यदि लगवाने के बाद कभी भी यह स्ट्रिंग ज्यादा लम्बी लगने लगे तो इसका मतलब है, कॉपर टी अपनी जगह से निकल गई है। यदि बुखार आये, तेज दर्द हो या बदबू दार डिस्चार्ज हो तो डॉक्टर से संपर्क करें। यह इन्फेक्शन के लक्षण हो सकते हैं जिनका उपचार किया जाना चाहिए। कॉपर टी लगवाने के बाद गर्भावस्था हो जाए तो पता लगते ही डॉक्टर से संपर्क करें। वे अल्ट्रासाउंड द्वारा यह जांच करेंगे की प्रेगनेंसी गर्भाशय में ही है। कई मामलों में एक्टोपिक या अस्थानिक प्रेगनेंसी भी हो सकती है।

Intrauterine devices are the most widely used of all reversible contraceptive methods worldwide. IUDs, particularly those with large copper surface areas like the Copper T 380, are among the most effective and long-acting methods of family planning and are suitable and acceptable options for many women.

Intrauterine Contraceptive Devices (IUDs) are small flexible devices which are made of metal and/or plastic. They release copper or hormone. Copper T is IUD made up of Copper and shaped like English alphabet T.

Copper T is inserted via the cervical canal and have a marker thread attached which is visible at the external os. IUD contraception works by blocking fertilization. Copper is toxic to sperm and ova and can have an anti-implantation effect.

TYPES

There are 2 main types of IUDs:

Copper (Cu-IUD) – 2 types available include:

  • Multiload-Cu375 lasts 5 years
  • TT380 (lasts 10 years) & TT380 Short (lasts 5 years)
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Levonorgestrel (LNG) IUD – releases a progestogen hormone, is marketed in Australia as Mirena. The Mirena may stay in situ for 5 years.

CONTRAINDICATIONS

  • Pregnancy, puerperal sepsis or immediate post-septic abortion
  • Unexplained abnormal vaginal bleeding
  • Cervical, endometrial or ovarian cancer awaiting treatment
  • Distortion of the uterine cavity (e.g. fibroids, congenital or acquired uterine abnormality)
  • Initiation in a woman with current Pelvic Inflammatory Disease, sexually transmitted infections (STI’s) & cervicitis (e.g. asymptomatic chlamydia, gonorrhoea, or pelvic infection).
  • However, insertion of an IUD should not be delayed to await results of STI screening tests where delay will put her at risk of unplanned pregnancy.
  • Active gestational trophoblastic disease

SIDE-EFFECTS AND COMPLICATIONS

These include:

  • Pregnancy with increased risk for miscarriage, ectopic pregnancy
  • Pelvic infection
  • Expulsion – the average risk is 5%, with the highest risk being within the first year
  • Perforation – the risk rate is up to 2.3 per 1000 insertions. Highly experienced clinicians who perform frequent insertions have a reduced risk of perforation.
  • Bleeding irregularities and dysmenorrhoea – is increased with copper IUDs and are more common in the first 3-6 months, and generally will decrease over time. With the Mirena® IUD persistent bleeding and/or spotting daily is not unusual for 3-5 months, and in up to 65% of cases amenorrhoea after the first year of use is common.
  • Vasovagal response to the insertion procedure
  • Increased vaginal discharge
  • Partner dyspareunia due to the IUD strings

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