एमनियोटिक थैली amniotic sac के गर्भावस्था में टूटने को पानी गिरना और अंग्रेजी में वॉटर ब्रेक PROM, PPROM, Pregnancy complications – premature rupture हो जाना कहते हैं। गर्भाशय में विकसित होता शिशु एक द्रव से भरी थैली के अंदर सुरक्षित तैरता रहता है। यह थैली, एमनियोटिक थैली कहलाती है और इसके अंदर के द्रव को एमनियोटिक द्रव या फ्लूइड कहा जाता है। कभी कभी समय से पहले एमनियोटिक थैली के फटने ( preterm premature rupture of membranes) PPROM पर तुरंत प्रसव हो जाता है।
एमनियोटिक फ्लूइड क्या है?
गर्भधारण के लगभग 12 दिनों के बाद अमानियोटिक द्रव का उत्पादन शुरू होता है। अमानियोटिक द्रव के कई काम हैं। यह बच्चे को सपोर्ट करता है, उसके अंगों, फेफड़े और पाचन अंग के विकास में सहायता करता है। यह बच्चे को शॉक से बचाता है और शरीर का उचित तापमान बनाए रखने में सहायता करता है।
एमनियोटिक फ्लूइड के फंक्शन
- भ्रूण के विकास को बनाए रखना Support growth of fetus
- भ्रूण को आराम से तैरने देना Protect fetal move freely
- गर्म रखना Warm the fetal
- इन्फेक्शन से बचाना Protect mater prevent infection
एमनियोटिक फ्लूइड का कम्पोजीशन
अमानियोटिक द्रव पहली बार पानी से बना होता है जो माँ से शिशु में जाता है, और इसके लगभग 20 सप्ताह बाद यह मुख्य रूप से भ्रूण के मूत्र का बना होता है। अमानियोटिक द्रव का उत्पादन बच्चे के किडनी द्वारा किया जाता है। यह तरल लगातार बच्चे के फेफड़ों में और पेट में आता-जाता रहता है। बच्चे के पेट में पचने के बाद यह किडनी के द्वारा निकाल दिया जाता है और पेशाब से बाहर आ जाता है। इस प्रकार फिर से यह बच्चे के नाक और मुंह से शरीर में फिर चला जाता है। इस तरह, एमनियोटिक द्रव की मात्रा नियंत्रित रहती है।
अमानियोटिक द्रव में निम्न होता है:
- पानी Mainly composed of water
- सोडियम, क्लोरीन, कैल्शियम Composed of ions including sodium, chlorine, and calcium
- यूरिया urea, which comes from the fetus
- भ्रूण की सेल्स fetal cells and other substances, such as alpha-fetoprotein (AFP)
करीब 37 सप्ताह के आसपास एमनियोटिक द्रव मैक्सिमम होता है, करीब 800 से 1000 मिली । इसके बाद, शिशु के जन्म तक यह धीरे-धीरे कम होना शुरु हो जाता है।
एमनियोटिक थैली कब टूटती है?
एमनियोटिक थैली की झिल्ली, प्रसव से पहले फटती है जिससे इसमें रहने वाला पानी निकलने लगता है और पता लगता है कि बच्चे का जन्म होने वाला है। एक्सपेक्टेड डेट के निकट, शरीर में झिल्ली की सेल्स के विघटन, केटाबोलिक एंजाइम collagenase और गर्भाशय में पैदा होने वाले संकुचन आदि कारणों से झिल्ली फट जाती है।
लेकिन बहुत बार समय से पहले या 37वें वीक से पहले की योनि से पानी जाने लगता है। यह बहुत कम मात्रा या अधिक मात्रा में हो सकता है। समय से पहले एमनियोटिक थैली के फटने या झिल्ली का समयपूर्व विघटन (पीआरओएम) preterm premature rupture of membranes (PPROM), कहलाता है। इसमें में एमनियोटिक थैली को घेरती हुई झिल्ली टूटना शुरू हो जाती है। यह स्थिति Spontaneous preterm rupture of the membranes (SPROM) हो सकती है प्रसव तुरंत शुरू हो जाता है या Prolonged ROM हो सकती है जिसमें प्रसव तुरंत नहीं शुरू होकर कुछ घंटों या दिनों में होता है।
समय से पहले एमनियोटिक थैली के फटने अक्सर महिला के शरीर में होने वाले किसी रोग के कारण होती है। यह प्रजनन अंगों में सूजन, किसी इन्फेक्शन समेत कई कारणों से हो सकती है।
PPROM करीब 30-40 % मामलों में देखा जाता है। यह एक्सपेक्टेड डेट से जितना अधिक पहले होगा जटिलताएँ उतनी ही ज्यादा होंगी। समय से पहले जन्में बच्चे के रिस्क बहुत अधिक हो सकते हैं, जैसे placental abruption, fetal distress, fetal restriction deformities and pulmonary hypoplasia, and fetal/neonatal death। करीब 1 % मामलों में फीटस को बचाया नहीं जा पाता।
32 वें सप्ताह के बाद होने वाले बच्चे में समस्याएं कुछ कम होती हैं, यदि उसमें पहले से कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं है तो। बच्चे को जन्म के तुरंत बाद से ही NICU नेओनेट इंटेंसिव केयर यूनिट में रखा जाता है और प्रीमेच्यूरिटी के अनुसार उसे सपोर्ट, दवाएं और ट्रीटमेंट दिया जाता है।
वाटर ब्रेक होने के बाद, डेलीवेरी कब होती है?
यदि झिल्ली फट गई है, तो ज्यादातर मामलों में देखा जाता है कि प्रसव एक सप्ताह के भीतर ही हो जाता है। दवाओं और सपोर्ट से भी डिलीवरी को अधिक समय तक टाला नहीं जा पाता। बहुत ही कम मामलों में डिलीवरी को 3-4 सप्ताह तक टाल पाते हैं। झिल्ली कभी-कभी (<10% सभी मामलों में) अपने आप सील हो जाती है, लेकिन ऐसा अक्सर अमीनोओसेंटिस के कारण से हुई झिल्ली के लीक में होता है।
वाटर ब्रेक होने पर क्या करें?
जैसे ही झिल्ली के फटने या योनि से पानी गिरने की समस्या गर्भावस्था के दौरान होती है, महिला को तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए। ऐसे में हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ता है। अस्पताल में महिला और फीटस को मॉनिटर किया जाता है। भ्रूण की हृदय गति और गर्भाशय के संकुचन (24-48 घंटे) को देखा जाता है।
अम्निओटिक द्रव इंडेक्स को oligohydramnios की स्थिति जानने के लिए और भ्रूण की वृद्धि देखने के लिए अल्ट्रासोनोग्राफिक टेस्ट नियमित अंतराल पर किए जाते हैं। यदि इंट्राअम्निओटिक इन्फेक्शन हो तो तुरंत प्रसव कराया जाता है।
सेकंड ट्राइमेस्टर जो की 13 से 27 सप्ताह का होता हैं, के दौरान यदि पानी गिरना शुरू होता है तो समस्या ज्यादा हो सकती है। भ्रूण गर्भाशय में जितनी कम दिन का होगा उसमें होने वाली दिक्कतें उतनी ज्यादा होंगी। कम दिन के भ्रूण को करीब 30% मामलों में नहीं बचाया जा सकता। 20 सप्ताह से पहले हुए मामले अधूरे एबॉर्शन Incomplete abortion में आते हैं। 25-26 वें सप्ताह में हुई डिलीवरी में करीब 60 % और 16-19 सप्ताह में हुई डिलीवरी में 12% भ्रूण की जान बचाई जा पाती है।
समय से पहले एमनियोटिक थैली क्यों फट जाती है?
ज्यादातर मामलों में, इसके कारण अज्ञात है। समय से पहले एमनियोटिक थैली के फटने के कुछ कारण या जोखिम कारक हो सकते हैं:
- गर्भाशय, गर्भाशय ग्रीवा या योनि के संक्रमण
- अमीनीओटिक थैली का बहुत ज्यादा फैलाव (यह तब हो सकता है जब बहुत अधिक द्रव हो या एक से अधिक बच्चे झिल्ली पर दबाव डालते हों)
- धूम्रपान
- गर्भाशय ग्रीवा की सर्जरी
- यदि पहले की गर्भावस्था में ऐसा हुआ हो
- ज्यादातर महिलाएं, जिनमें पानी के लेबर से पहले टूट जटा है, उनमें जोखिम का कारक नहीं होता है।
यह कैसे पता चलेगा कि वाटर ब्रेक हो गया है?
इसके निम्न लक्षण हैं:
योनि से तरल गिरना। यह धीरे धीरे हो सकता है, या एक साथ हो सकता है। जब झिल्ली टूट जाती है तो झिल्ली रिसाव जारी रहता है।
कभी-कभी जब द्रव धीरे-धीरे बाहर निकलता है, तो महिला इसे मूत्र का लिक समझ लेती हैं।
यदि योनि से कोई तरल पदार्थ लीक होता पता लग रहा है, तो इसे अवशोषित करने के लिए एक पैड लगा लें। पैड में लगने के बाद इसे देखें और गंध जांचे। अम्निऑटिक द्रव का आमतौर पर कोई रंग नहीं होता है और इसमें मूत्र की तरह गंध नहीं होती है।
यदि आपको लगता है कि आपकी झिल्ली टूट गई है, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ। आपको जितनी जल्दी हो सके जांच की आवश्यकता होगी।
समय से पहले एमनियोटिक थैली के फटने पर डॉक्टर क्या करेंगें?
अस्पताल में, सरल परीक्षण यह पुष्टि कर सकते हैं कि आपकी झिल्ली टूट गई है। अगर झिल्ली टूट गई है और लीक हो रही है, तो आपको बच्चे के जन्म होने तक अस्पताल में भर्ती रहें की आवश्यकता होगी।
37 सप्ताह के बाद
यदि आपकी गर्भावस्था 37 सप्ताह से ज्यादा है, तो प्रसव कराया जाएगा। यदि प्रसव जल्दी नहीं कराया जाता तो इन्फेक्शन होने की सम्भावना है।
यदि लेबर अपने आप नहीं होता तो इसे प्रेरित किया जाता है। जो महिलाएं पानी के टूटने के 24 घंटों के भीतर अस्पताल में पहुंचती हैं उन्हें संक्रमण होने की संभावना कम होती है।
34 और 37 सप्ताह के बीच
यदि आप 34 और 37 हफ्तों के बीच हैं, जब आपका पानी टूटता है, तो डॉक्टर लेबर शुरू करायेंगे। यह संक्रमण के रिस्क को कम करता हैं।
34 सप्ताह से पहले
यदि आपका पानी 34 सप्ताह से पहले टूट जाता है, तो यह अधिक गंभीर है। अगर संक्रमण के कोई संकेत नहीं हैं, तो डॉक्टर आपको बिस्तर पर आराम देने की सलाह डे सकते हैं। आपको स्टेरॉयड दवाएं भी दी जा सकती हैं जो बच्चे के फुफ्फुसों को जल्दी से बढ़ने में मदद करती हैं।
समय से पहले एमनियोटिक थैली के फटने का मेडिकल उपचार
यदि समय से पहले एमनियोटिक थैली फट गई है तो महिला और उसके परिवार को रिस्क और इलाज़ से हो सकने वाले लाभ के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए और निर्णय लेने में मदद की जानी चाहिए। एक बार मरीज़ का ट्रीटमेंट शुरू करने करने का फैसला हो जाने पर इलाज़ अस्पताल में भर्ती करके किया जाना चाहिए।
समय से पहले एमनियोटिक थैली के फटने पर एंटीबायोटिक उपयोग
पीपीओएम के प्रबंधन में प्रारंभिक स्टेप के तहत ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक दवाओं ampicillin, erythromycin को इंट्रा वीनस दिया जाता है। फिर एंटीबायोटिक amoxicillin मुंह के द्वारा दी जाती है।
अधिकांश अध्ययनों में, एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग गर्भावस्था को बढ़ाने और मातृत्व रोग में कमी के साथ जुड़ा देखा गया है। हालांकि, कुछ अध्ययनों से पता चला है कि कुछ प्रकार के एंटीबायोटिक दवाओं से रिस्क हो सकते हैं।
समय से पहले एमनियोटिक थैली के फटने पर कॉर्टिकोस्टेरॉइड उपचार Antenatal corticosteroid treatment
फेफड़ों की परिपक्वता को बढ़ाने के लिए कॉर्टिसोस्टिरॉइड का उपयोग सभी महिलाओं में जो 24-34 सप्ताह की गर्भवती हैं, दिया जाता है। अधिकांश महिलाओं में जो 48 घंटे और गर्भवती रहती हैं, में इस तरह कोर्टेकोस्टोराइड थेरेपी से लाभ होता है।
कॉर्टिकॉस्टिरॉइड का एक इंजेक्शन 24-34 सप्ताह की गर्भवती महिला को लगाया जाता है।
PPROM सभी गर्भधारण के लगभग 3% मामलों में होने वाली गर्भावस्था की जटिलता है। इसमें योनि के माध्यम से कोई जांच नहीं की जानी चाहिए। अल्ट्रासाउंड करके भ्रूण को मॉनिटर किया जाता है और दवाओं द्वारा इन्फेक्शन और लक्षणों को कण्ट्रोल किया जाता है। 24 और 34 सप्ताह के बीच फेफड़ों की परिपक्वता को बढ़ाने के लिए कोर्टिकॉस्टिरॉइड लगाते हैं और डिलीवरी के तुरंत बाद से ही बच्चे को इंटेंसिव केयर यूनिट में रख कर प्रीमेच्योरिटी के हिसाब से इलाज़ करते हैं। बच्चे को खून चढ़ाने की और संक्रमण के लिए उपचार की ज़रूरत होती है। इसे केयर यूनिट में कुछ सप्ताहों तक रखने की ज़रूरत होगी।
Amniotic fluids surrounds fetus in the womb. The fluid is held by membranes or layers of tissue. This membrane makes the amniotic sac. The membranes rupture or break just before the labor and generally implied by the term ‘water broke’.
But, in some cases, the membranes break before a expected date. When the water breaks early, it is called premature rupture of membranes (PROM). Most women will go into labor on their own within 24 hours.
When the water breaks before the 37th week of pregnancy, it is called preterm premature rupture of membranes (PPROM). The earlier water breaks, the more serious it is for mother and baby. When this condition is suspected, one should immediately contact gynecologist. The pregnant woman need to be admitted to hospital for proper treatment and delivery. The baby is kept in a neonatal intensive care unit (NICU), also known as an intensive care nursery (ICN. It is an intensive care unit specializing in the care of ill or premature newborn infants. Other treatments are given to mother and baby depending on condition. The duration of stay in hospital depends on condition and degree of prematurity.