इन्फेक्शन्स किसी गर्भवती महिला, गर्भावस्था और बच्चे को नुक्सान पहुंचा सकते हैं, डिलीवरी के बाद भी
1- Bacterial vaginosis: बैक्टीरियल वेजिनोसिस को सीरियस समस्या नहीं है। लेकिन गर्भावस्था में यदि ऐसा हो तो डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए। योनि में बहुत से बैक्टीरिया पाए जाते हैं। इसमें से कुछ अच्छे बक्टेरिया माने जाते हैं और कुछ बुरे। अच्छे बैक्टीरिया बुरे बैक्टीरिया को कण्ट्रोल रखते हैं। बैक्टीरियल वेजिनोसिस होने पर योनि में बुरे बक्टेरिया बढ़ जाते हैं जिससे योनि में केमिकल्स का संतुलन गड़बड़ा जाता है।
यह यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) है जो की प्रीटर्म डिलीवरी के खतरे को बढ़ा सकता है। अगर किसी गर्भवती को ऊपर दिए गए लाक्षण हैं तो उसे तुरंत अपने डॉक्टर से मिलकर इसका इलाज करा लेना चाहिए।
2- गर्भावस्था के दौरान क्लैमाइडिया संक्रमण प्रीटर्म बच्चे के जन्म और इसकी जटिलताओं को बढ़ा सकता है। यदि प्रसव के समय संक्रमण मौजूद है तो यह बच्चे को भो हो सकता है। यह शिशु में आँख संक्रमण या निमोनिया को जन्म दे सकता है। ज्यादातर अस्पतालों में, शिशुओं की आंखों का नियमित रूप से जन्म के तुरंत बाद एक एंटीबायोटिक मरहम के साथ इलाज किया जाता है। प्रसव के दौरान क्लैमाइडिया बैक्टीरिया के संपर्क में से अंधापन को एंटीबैक्टीरियल मरहम से रोका जा सकता है यदि प्रसव के समय किसी को क्लैमाइडिया संक्रमण है तो।
क्लैमाइडिया, एक बैक्टीरियल रोग है जो की बैक्टीरिया क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस के कारण होता है। यही बैक्टीरिया आँखों के रोग ट्रेकोमा का भी कारण है। क्लैमाइडिया बैक्टीरिया की तीन प्रजातियाँ हैं जिनमें से क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस यौन संचारित रोग के लिए जिम्मेदार है। क्लैमाइडिया न्यूमोनी, बैक्टीरिया निमोनिया और ब्रोंकाइटिस के लिए और क्लैमाइडिया सिटैसी, इन्फ्लुएंजा की बीमारी के लिए जिम्मेदार है।
3- Cytomegalovirus (CMV) एक बहुत सामान्य वायरस है जो की बॉडी के किसी भी हिस्से में तरल में हो सकता है जो की किसी को छूने से फ़ैल सकता है जैसे की किस करना, बरतन और सेक्सुअल कांटेक्ट। सामान्य तौर पर इस वायरस से कोई दिक्कत नहीं होती है लेकिन अगर यह किसी को एक बार संक्रमित कर देता है तो फिर पूरे जीवन उसके शरीर में रहत है। गर्भवती महिलाओं को ज्यदातर समय इसके इन्फेक्शन का पता नहीं रहता है जिससे यह भ्रूण को भी इन्फेक्ट कर सकता है। ज्यादातर शिशुओं में CMV इन्फेक्शन के कोई लक्षण नहीं होते है और इससे उन्हें कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं होती है। लेकिन कुछ शिशुओं में इसकी वजह से बहरापन और अंधापन हो सकता है या फिर उनके दिमाग की विकाश ठीक से नहीं हो पता है। CMV इन्फेक्शन को ब्लड या लार के टेस्ट करके पता लगाया जा सकता है और एंटीवायरल दवाओं से इसके असर को कम किया जा सकता है।
4- Fifth disease: यह मानव parvovirus type B19 की वजह से होता है। इसकी वजह से बच्चों की सामान्य समस्याएं होती है और यह बड़ी आसानी से लोगों के बीच फ़ैल सकता है। जिन बच्चों को यह होता है उन्हें बुखार के साथ गाल पर लाल दाने होते हैं। सामान्य तौर पर इससे गर्भवती महिला को कोई दिक्कत नहीं होती है लेकिन कभी कभी यह गर्भपात का कारण बन सकता है या भ्रूण को इन्फेक्ट करके एनीमिया कर सकता है। इसक कोई भी टीका या इलाज नहीं है। इससे आप अपने हाँथ को हमेशा अच्छी तरह दो कर बाख सकते हैं।
5- बिना इलाज वाला सुजाक(गोनेरिया) इसकी वजह से गर्भवती महिला को बहुत सारी समस्यायों का सामना करना पद सकता है जैसे की गर्भपात, प्रीटर्म डिलीवरी और कम वजन का बच्चा या फिर गर्भाशय में इन्फेक्शन। सुजाक डिलीवरी के समय बच्चे को भी इन्फेक्ट कर सकता है। अगर इसक इलाज नहीं किया जाये तो यह बच्चे में आँख की बीमारी या अंधापन का कारण बन सकता है। ज्यादातर हॉस्पिटल्स में एंटीबायोटिक मरहम से बच्चे की आँखों के इन्फेक्शन का इलाज किया जाता है जिससे बच्चे की आँखों को बचाया जा सके।
गोनोरिया बैक्टीरिया Neisseria gonorrhoeae के कारण होने वाला एक रोग है। यह बैक्टीरिया, कोशिकाओं पर हमला कर उसमें अपनी संख्या को बढ़ाता है। यह जीवित बैक्टीरिया योनि, गुदा अथवा ओरल सेक्स के दौरान स्वस्थ्य पार्टनर के प्रजनन अंगों, मलाशय और मुंह की श्लेष्मा झिल्ली को संक्रमित कर देते हैं। गोनोरिया का संक्रमण योनि, गुदा या ओरल सेक्स के द्वारा संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ्य व्यक्ति में जा सकता है।
6- Group B streptococcus (GBS) (जीबीएस) शिशुओं में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है लेकिन प्रसव के दौरान एंटीबायोटिक देने से जीबीएस के प्रसार को रोका जा सकता है, इसलिए गर्भावस्था के दौरान संक्रमण के लिए परीक्षण करना महत्वपूर्ण है।
7- गुप्तांग हरपीज (Genital Herpes) जो गर्भवती महिलाएं बाद में जननांग हर्पीस से इन्फेक्ट होती हैं उनमें डिलीवरी के समय बच्चे को इन्फेक्शन पास होने का खतरा बहुत बढ़ जाता है। नवजात शिशुओं में हरपीस संक्रमण बहुत गंभीर हो सकता है और यह उनकी जान को खतरा हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान या प्रसव के समय Herpes वायरस के संक्रमण से मस्तिष्क क्षति, अंधापन और दूसरे अंगों को नुकसान हो सकता है। शायद ही कभी प्रेगनेंसी के दौरान हर्पेस इन्फेक्शन से की महिला को बहुत गंबीर समय होती है जैसे की लीवर की खराबी या मौत।
What is Genital Herpes?
- जननांग हर्पीज, दो प्रकार के वायरस के कारण होने वाला एसटीडी रोग है।
- वायरस को हर्पीस सिम्प्लेक्स टाइप 1 और हरपीज सिम्प्लेक्स टाइप 2 कहा जाता है।
8- हेपेटाइटिस बी ( Hepatitis B) यदि एक महिला गर्भावस्था के दौरान हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) से संक्रमित है, तो वायरस उसके भ्रूण को संक्रमित कर सकता है संचरण की संभावना पर निर्भर करता है की कब गर्भावस्था के दौरान माँ संक्रमित होती है। यदि मां को गर्भावस्था के शुरू में संक्रमण होता है, तो यह संभावना 10% और 20% के बीच होती है है कि वायरस उसके भ्रूण को संक्रमित करेगा। हालांकि, यदि गर्भावस्था में बाद में संक्रमण होता है, तो जोखिम 90% तक बढ़ जाता है। शिशुओं में, एचबीवी गंभीर हो सकता है और बाद में जीवन में क्रोनिक लीवर की बीमारी या यकृत कैंसर पैदा कर सकता है। इसके अलावा, संक्रमित नवजात शिशुओं को एचबीवी के वाहक बनने का बहुत अधिक खतरा होता है और ये संक्रमण दूसरों तक फैल सकता है।
कुछ मामलों में, अगर गर्भवती होने के दौरान एक महिला को एचबीवी से का इन्फेक्शन होता है, तो संभवतः उसे संक्रमण प्राप्त करने की संभावना कम करने के लिए एक विशेष एंटीबॉडी के साथ इलाज किया जा सकता है।
सभी स्वस्थ शिशुओं को एचबीवी के खिलाफ टीका लगाया जाना चाहिए ताकि उन्हें जीवन भर संरक्षण मिल सके।
अगर HBV किसी गर्भवती महिला को है तो डिलीवरी के बाद उसके बच्चे को जितना जल्दी हो सके hepatitis B hyperimmune globulin दे देना चाहिए।
10- Hepatitis C virus (HCV) ज्यादा जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें हेपेटाइटस सी Hepatitis C का इलाज
11- HIV/AIDS जन्म से पहले गर्भावस्था के दौरान, प्रसव के समय, या स्तनपान के दौरान, जन्म के बाद माता से शिशु को एचआईवी इन्फेक्शन हो सकता है।
12- सिफलिस (Syphilis): यह इन्फेक्शन गर्भवती मां से उसके बच्चे में गर्भ के दौरान या प्रसव के समय पास हो सकता है। इस इन्फेक्शन की वजह से प्रीटर्म जन्म, मरा हुआ बच्चा या फिर जन्म के तुरंत बाद बच्चे की मौत हो सकती है। अगर बच्चो का जन्म के बाद ठीक से इलाज न किया जाये तो उसके कई अंगों में प्रॉब्लम हो सकती है जैसे की दिमाग, आँख, कान, ह्रदय, स्किन, दांत और हड्डियाँ। सभी महिलावों को गर्भावस्था के सायं सबसे पहली डॉक्टर की विजिट के दौरान इसका टेस्ट करा लेना चाहिए और फिर तीसरे तिमाही में भी करना चाहिए।
13- Zika Virus: ज़िका मुख्य रूप से एक निश्चित प्रकार के मच्छर के काटने से वायरस फैलता है, लेकिन यह यौन संपर्क के माध्यम से भी फैल सकता है। यद्यपि इसके लक्षण आमतौर पर हल्के होते हैं, गर्भावस्था के दौरान ज़िका संक्रमण गर्भावस्था के नुकसान और अन्य गर्भावस्था संबंधी जटिलताओं, साथ ही जन्म के दोष और शिशु के लिए अन्य समस्याएं पैदा कर सकता है।