स्तंभन दोष या नपुंसकता या इरेक्टाइल डिसफंक्शन, संभोग के दौरान शिश्न के उत्तेजित न होने या उसे बनाए न रख सकने के कारण पैदा हुई यौन निष्क्रियता की स्थिति है। Erectile dysfunction (ED) is the inability to get or keep an erection firm enough to have sexual intercourse. It is also sometimes also referred to as impotence.
इरेक्टाइल डिसफंक्शन का मतलब है पेनिस में तनाव न आना या यह तनाव बरकरार न रख पाना। इसमें पेनिस उतना कड़ा नहीं हो पाता जिससे पेनेट्रेटिव सेक्स हो सके। इस स्थिति को इम्पोटेंस भी कह दिया जाता है। । यह अनुमान लगाया गया है कि 40 और 70 की उम्र के बीच के सभी आधे पुरुषों में यह समस्या कुछ हद तक पायी जाती है।
स्तंभन क्या है ?
What is erection?
स्तंभन या इरेक्शन वह स्थिति है जिसमें यौनोत्तेजना में पुरुष का शिश्न / पेनिस का आकार बढ़ जाता है और कड़ा हो जाता है।
यौन रूप से उत्तेजित होने पर शिश्न की धमनियाँ स्वतः फैल जाती हैं, जिसके कारण अधिक रक्त शिश्न के तीन स्पंजी ऊतक कक्षों मे भर जाता है और इसे लंबाई और कठोरता प्रदान करता है। यह रक्त से भरे ऊतक रक्त को वापस ले जाने वाली शिराओं पर दबाव डाल कर सिकोड़ देते है, जिसके कारण अधिक रक्त प्रवेश करता है और कम रक्त वापस लौटता है। ऐसा होने से शिश्न को एक निश्चित स्तंभन आकार मिलता है।
स्तंभन दोष / इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ईडी) क्या है?
What is Erectile Dysfunction or ED?
इरेक्टाइल डिसफंक्शन या स्तंभन दोष वह स्थिति है जिसमें एक पुरुष संभोग के लिए पर्याप्त इरेक्शन / स्तम्भन को पाने या उसे बरकरार रखने में असमर्थ रहता है।
- यह कहा जा सकता है की व्यक्ति को स्तम्भन दोष है, यदि
- उसे कभी कभी इरेक्शन होता है, लेकिन हर बार नहीं
- इरेक्शन होता है लेकिन यह संभोग के लिए पर्याप्त समय तक नहीं रहता
- व्यक्ति कभी भी इरेक्शन पाने में असमर्थ
- इरेक्शन न होने को नपुंसकता भी कहा जाता है।
मुझे स्तंभन दोष है, कब डॉक्टर को दिखाना चाहिए?
यदि आपको कुछ सप्ताह या महीने से यह समस्या है तो डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर जांचों द्वारा समस्या के कारण को पहचानने की कोशिश करते हैं। कई बार हृदय रोग, मधुमेह, नसों में दिक्कत के लक्षण के रूप में ईडी होता है।
इरेक्टाइल डिसफंक्शन के कारण क्या हो सकते हैं?
इरेक्टाइल डिसफंक्शन होने के बहुत से कारण हो सकते हैं। सभी में एक जैसे कारण नहीं होते। शिश्न में तनाव न आने के कारणों में शारीरिक और मानसिक दोनों ही कारण हो सकते हैं। मानसिक समस्याओं से भी भी व्यक्ति के यौन स्वास्थ्य पर सीधा असर पड़ता है।
कभी कभी स्तंभन दोष कुछ स्थितियों में ही होता है उदाहरण के लिए, हस्तमैथुन के दौरान तो इरेक्शन हो जाता है लेकिन सम्भोग करने के लिए नहीं। यदि यह मामला है, तो यह संभावना है कि स्तंभन दोष का मूल कारण मनोवैज्ञानिक (तनाव संबंधी) है।
यदि आप किसी भी परिस्थिति में इरेक्शन नहीं पा रहे हैं, तो यह संभावना है कि शारीरिक कारण है। कुछ दवाओं के साइड इफ़ेक्ट के कारण भी इरेक्शन नहीं हो पाता है
- पेनिस की रक्त वाहिकाओं का संकरा हो जाना- सामान्यतः उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल या मधुमेह से जुड़े
- हार्मोनल समस्या
- सर्जरी या चोट
ईडी के मनोवैज्ञानिक कारणों में शामिल हैं:
- चिंता
- डिप्रेशन
- संबंध में समस्या
स्तंभन दोष का निदान कैसे किया जाता है?
How erectile dysfunction is diagnosed?
- यदि आपके इरेक्शन ठीक से नहीं आ रहे तो यूरोलोजिस्ट से समपर्क करें। इसके लिए डॉक्टर मेडिकल हिस्ट्री लेंगे।
- शारीरिक परीक्षा के द्वारा लिंग या अंडकोष में संभव तंत्रिका की समस्याओं के लिए जाँच करने करेंगे।
- इरेक्टाइल डिसफंक्शन में डॉक्टर मरीज से उसकी मेडिकल और सेक्सुअल हिस्ट्री के बारे में पूछते हैं और कई टेस्ट कराते हैं।
- मेडिकल और सेक्सुअल हिस्ट्री medical and sexual history
- शारीरिक परीक्षा physical exam
- ब्लड टेस्ट blood tests
- पेशाब की जांच Urine tests (urinalysis)
- नोक्टर्नल इरेक्शन टेस्ट erection test
- इंजेक्शन परीक्षण injection test
- डॉपलर अल्ट्रासाउंड Doppler ultrasound
- मानसिक स्वास्थ्य परीक्षा Mental Health Exam
शारीरिक परीक्षा physical exam के दौरान निम्न को जांचा जाता है
लिंग को छू कर यह जांचा जाता है की क्या यह शारीरिक स्पर्श के प्रति संवेदनशील है। लिंग में यदि संवेदनशीलता का अभाव है, तो तंत्रिका तंत्र में किसी प्रकार की दिक्कत इरेक्टाइल डिसफंक्शन का कारण हो सकती है।
लिंग में देखने पर किसी प्रकार की असामान्यता। उदाहरण के लिए, Peyronie रोग में लिंग के सख्त होए पर वह मुड़ा हुआ या वक्र लगता है।
- शरीर के बालों का गिरना या स्तनों का बढ़ना जो की हॉर्मोन असंतुलन low testosterone को दिखाता है।
- ब्लड प्रेशर की जांच की जाती है।
- कलाई में और एड़ियों में नाड़ी की जांच जिससे सर्कुलेशन blood circulation में होने वाली दिक्कत पता लग सके।
- ब्लड टेस्ट blood tests में मधुमेह, atherosclerosis, क्रोनिक किडनी रोग, और हार्मोन संबंधी समस्याओं आदि है की नहीं जांचा जाता है।
नोक्टर्नल इरेक्शन टेस्ट में रात को होने वाले इरेक्शन के बारे में पता लगाया जाता है। हर स्वस्थ्य पुरुष को रात में तीन से पांच इरेक्शन होते हैं। यदि यह इरेक्शन व्यक्ति में देखे जा रहे हैं तो इसका मतलब है की उसमें इरेक्टाइल डिसफंक्शन का कारण मनोवैज्ञानिक या भावनात्मक है।
इंजेक्शन परीक्षण में इंजेक्शन intracavernosal injection लगाकर लिंग में आये स्तम्भन और समय को देखते हैं।
डॉपलर अल्ट्रासाउंड, द्वारा लिंग में रक्त के प्रवाह को जांचा जाता है। इरेक्शन लाने के लिए इंजेक्शन भी लगाया जा सकता है। एक्स-रे तकनीशियन लिंग पर हल्के हाथ से डिवाइस गुजारता है। कंप्यूटर स्क्रीन पर रक्त वाहिका में रक्त प्रवाह की गति और दिशा देखी जाती है।
मानसिक स्वास्थ्य परीक्षा के द्वारा दंपति के भावनात्मक और शारीरिक संबंधों के बारे में जानकारी ली जाती है। रक्त और मूत्र परीक्षण भी मधुमेह या कम टेस्टोस्टेरोन जैसे समस्याओं का निदान करने में मदद कर सकते हैं।
स्तंभन दोष के लिए उपचार क्या है?
What are the treatment option?
स्तंभन दोष का उपचार मुख्य रूप से समस्या के कारण से निपटने के द्वारा किया जाता है, चाहे यह शारीरिक या मनोवैज्ञानिक है।
धमनियों का संकुचन (एथेरोस्क्लेरोसिस कहा जाता है) ईडी के सबसे सामान्य कारणों में से एक है। इस केस में डॉक्टर कार्डियोवास्कुलर बीमारी के जोखिम को कम करने की कोशिश करने के लिए वजन कम करने के लिए जीवन शैली में बदलाव का सुझाव दे सकते है। इससे आपके लक्षणों को दूर करने के साथ-साथ आपके सामान्य स्वास्थ्य को सुधारने में मदद मिल सकती है। रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल-डाउनिंग को कम करने की दवाएं भी दी जा सकती हैं।
स्तंभन दोष के लिए उपचार
- जीवन शैली में परिवर्तन (सिगरेट, शराब ड्रग्स आदि का सेवन न करके, व्यायाम बढ़ा कर, और प्राणायाम करके )
- काउंसलिंग (इमोशनल करणों को दूर करके, स्ट्रेस-एंग्जायटी कम करके)
- अन्य रोगों में दी गई दवाई में बदलाव लाकर
- इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए विशेष दवाएं देकर, सर्जरी से कोई शारीरिक दिक्कत दूर करके
जीवन शैली में परिवर्तन
- वजन कम करना यदि आप अधिक वजन वाले हैं
- धूम्रपान छोड़ना
- शराब छोड़ना
- अवैध ड्रग्स नहीं लेना
- व्यायाम नियमित रूप से करना
- स्ट्रेस कम करना
दवाएं जो इरेक्टाइल डिसफंक्शन में दी जाती हैं:
स्तंभन दोष के उपचार में कई उपचार सफल रहे हैं। दवा, जैसे कि सिल्डेनाफिल (वियाग्रा के रूप में बेची जाती है), कम से कम दो-तिहाई मामलों में इसका प्रबंधन करने के लिए उपयोगी है। Phosphodiesterase-5 (PDE-5) inhibitors are one of the most widely used and effective types of medication for treating erectile dysfunction।
- सिल्डेनाफिल (वियाग्रा) sildenafil
- वारडेनाफिल (Levitra, Staxyn) vardenafil
- टाडलाफिल (Cialis) Tadalafil
- अवनाफिल (Stendra) avanafil
- टेस्टोस्टेरोन की कमी में टेस्टोस्टेरोन बढ़ाने वाली दवाएं
- होर्मोन की कमी में होर्मोन की दवाएं
Sildenafil, vardenafil और avanafil लगभग आठ घंटे के लिए काम करते हैं। टाडलाफिल का असर 36 घंटे तक रहता है और अधिक उपयुक्त है यदि आपको लंबे समय तक उपचार की आवश्यकता होती है, उदाहरण के लिए, एक सप्ताह के अंत में। Sildenafil, vardenafil और avanafil लेने पर आप दवा लेने के एक से 10 घंटे के बाद तक सेक्स करने में सक्षम रहेंगें। ताडालफिल लेने के बाद, प्रभाव 36 घंटे तक चलेगा और आप 36 घंटे के बाद तक सेक्स कर सकेंगें।
एक दिन में केवल एक गोली ली जानी होती है। इस गोली को भोजन से लिया जाता है तो प्रभाव होने में अधिक समय लग सकता है, इसलिए इसे खाली पेट लेना सबसे अच्छा है। आप एक घंटे के बाद खाना खा सकते हैं।
यदि आपको लगता कि यह गोली प्रभावी नहीं हैं तो यह इसलिए हो सकता है क्योंकि:
- खुराक लेने के बाद आपने पर्याप्त समय तक इंतजार नहीं किया है
- आप खुराक लेने के बाद बहुत इंतजार किया है
- खुराक पर्याप्त नहीं है
- पर्याप्त यौन उत्तेजना नहीं हुई है
- यौन उत्तेजना के बिना दवा का असर नहीं दिखेगा।
वैक्यूम पंप, जो लिंग को प्रवाह करने के लिए रक्त को प्रोत्साहित करते हैं और निर्माण का कारण भी 90% मामलों में सफल होता है। मनोवैज्ञानिक उपचार में संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (सीबीटी) और सेक्स थेरेपी शामिल हैं।
कुल मिलाकर, हाल के वर्षों में स्तंभन दोष के उपचार में काफी सुधार हुआ है। ज्यादातर पुरुष अंततः फिर से सेक्स करने में सक्षम हैं।
बहुत सी आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाएं भी उपलब्ध हैं जिनका प्रयोग आप करके देख सकते हैं।
- हिमालया टेन्टेक्स रॉयल Himalaya Tentex Royal
- हिमालया टेंटेक्स फोर्ट Himalaya Tentex forte
- हिमालया कॉन्फीडो Himalaya Confido
- हिमालया गोक्षुरा Himalaya Gokshura
- सांडू विमफिक्स Sandu Vimfix
- हिस्पो फोर्ट Hispo Forte
- हिस्पो कैप्सूल Hispo Capsules
- हिमालया हिमकोलिन जेल Himcolin Gel
- हिस्पो जेल Hispo Gel
- श्रीगोपाल तैल Shri Gopal Taila (Oil) इत्यादि
होम्योपैथिक दवाएं
- SBL Damiagra Drops
- Schwabe Damiaplant
- Dr। Reckeweg R41
- Blooume 33
- Isotropin Male oral spray
- Wheezal Stimulant-H Drops
- BAKSON Super Tonic
लेकिन ध्यान रखें कि एक ही साथ अलग-अलग पैथी की दवाएं न लें, नहीं तो कोई भी काम नहीं करेगी, जैसे आयुर्वेदिक दवा भी ले रहें और होम्योपैथिक भी। यह गलत तरीका है। पहले किसी एक पैथी की दवा लेकर कुछ महीने देखें। यदि असर न हो तो चेंज करें।
इरेक्टाइल डिसफंक्शन का घरेलू उपचार क्या हो सकता है?
देखिए इसमें होम रेमेडीज कितना काम करेंगी, यह तो कहना मुश्किल है लेकिन आप इन्हें कर के देख सकते हैं। इन्हें करने में कोई नुकसान नहीं है। यह पूरे स्वास्थ्य को ठीक करने में मदद कर सकती हैं।
पहले यह समझें उम्र के बढ़ने के साथ-साथ इरेक्शन होने के समय में भी अंतर आता है। 18-20 की उम्र में इरेक्शन कुछ सेकेंड में हो जाता है, लेकिन 30-40 की उम्र में इसे पाने में 1-2 मिनट लग जाते हैं। 60 की उम्र में हो सकता है 2 मिनट से ज्यादा लग जाएँ लेकिन इसका मतलब यह नहीं ही की इम्पोटेंस है। इसलिए अपने आप को समय दें। परेशान न हो। जैसे उम्र के साथ बाकी चेंज होते हैं, यह भी नेचुरल है। स्ट्रेस या एंग्जायटी में दिक्कत अधिक होगी।
सेक्स के दौरान फोरप्ले और ओरल सेक्स के द्वारा पेनिस में इरेक्शन लाया जा सकता है।
मानसिक समस्या हो तो, इरेक्शन न हो पाना सामान्य है। इसलिए ऐसे में सेक्स अवॉयड करें।
कोई दवा ले रहे हैं, जैसे की उच्च रक्तचाप की, अवसाद की, नींद की तो दवा के साइड-इफ़ेक्ट की तरह यह समस्या हो सकती है। ऐसे में दवा को चेंज करायें।
प्राणायाम करें। इससे शरीर में ज्यादा ऑक्सीजन जायेगी और नसों को ताकत मिलेगी। नालियों के अवरोध भी दूर होंगें और स्ट्रेस कम होगा। मस्तिष्क हल्का महसूस होगा और ताजगी का एहसास होगा।
शराब और धूम्रपान को छोड़ दें। यह पदार्थ रिफ्लेक्स को धीमा करते हैं और खून के दौरे को प्रभावित करते हैं। लम्बे समय तक शराब पीने से होर्मोन का असंतुलन भी हो सकता है। शराब लीवर समेत हूरे शरीर पर बहुत बुरा प्रभाव डालती है।
टेस्टोस्टेरोन में सुधार लाने के लिए जिनसेंग, अश्वगंधा, गोखरू, केवांच आदि जड़ी बूटियाँ ले कर देखें। कोलेस्ट्रॉल कम करें। मोटापे पर नियंत्रण करें।
रिलैक्स करें, फोरप्ले अधिक करें। मोटरसाइकिल बहुत न चलायें। इससे प्रजनन अंगों पर दबाव पड़ता है और झटका लगता है।