सभी लोग अच्छी हाइट चाहते है। भारत ने पुरुषों की एवरेज हाइट साढ़े पांच फुट और महिलाओं की पांच या उससे थोड़ी ज्यादा है। हाइट पर आनुवांशिकी, खान-पान, पर्यावरण, आदि सभी का असर पड़ता है। जेनेटिक्स आपकी हाइट पर 60-80 फीसदी असर डाल सकता है। बाकी के 20–40% फैक्टर्स को आप कम या ज्यादा करने की कोशिश कर सकते हैं।
दुनिया भर में किये गए शोध दिखाते है, किस तरह से जीवनशैली और खानपान से हाइट पर सीधे फर्क पड़ता है। आप अगर खुद भी देखें तो अमीर लोगो के बच्चे अपने माता-पिता की हाइट से लम्बे ही होते हैं। कुछ देशों में इसी कारण से लोगों की एवरेज हाइट में इजाफा देखा गया है।
उदाहरण के लिए जापान के लोगों की एवरेज हाइट पिछले 20-30 सालों में करीब 5 सेंटीमीटर या 2 इंच बढ़ी है। लोगों की बनावट और वज़न पहले जितना ही है। ऐसा वहां पर खाने की अच्छी गुणवत्ता, लाइफस्टाइल के बदलाव और बच्चों में बीमारियों, संक्रमणों को रोक कर हुआ है। बच्चे जितना अधिक बीमार रहते हैं उतना ही उनका शारीरिक विकास बाधित होता है। इसलिए बच्चों की अच्छी देखभाल से उनके बीमार पड़ने की दर और दवाइयों के प्रयोग को कम किया जा सकता है। बच्चों में एंटीबायोटिक का प्रयोग सीधे-सीधे कुछ महीने तक उनके विकास को रोक देता है।
बच्चों में लम्बाई बढ़ाने के लिए सुझाव, भोजन और अन्य सलाह
अक्सर माता-पिता अपने बच्चे के हाइट बढ़ाने के लिए परेशान रहते हैं। बच्चों की लम्बाई केवल एक उम्र तक ही बढ़ती है। लड़कों में विकास की दर 10-16 वर्ष तक और लड़कियों में 8-13 वर्ष के बीच तेज़ होती है। लड़कियों में मासिक शुरू होने पर ऊंचाई अधिक नहीं बढ़ पाती क्योंकि तब शरीर में दूसरे विकास शुरू हो जाते हैं। लड़कों में हॉर्मोन के तेज बदलाव से आवाज़ का बदलना और लम्बाई का बढ़ना देखा जाता है।
17 – 18 वर्ष के बाद लंबाई नहीं बढ़ती। इसलिए बच्चों की लम्बाई ठीक हो इसके लिए शुरू से ही कोशिश करें।
अच्छे खान-पान और जीवनशैली से सही हाइट पायी जा सकती है। कुछ जगह पर दिया रहता हैं कि 18 वर्ष के बाद लम्बाई कैसे बढ़ाएं। लेकिन मैक्सिमम लोगों के लिए 18 साल के बाद हाइट बढ़ा पाना संभव नहीं है। केवल कुछ मामलों में मेडिकल कंडीशन के कारण ग्रोथ 18 साल के बाद भी जारी रह सकती है। कुछ में देर से प्यूबरटी हो तो भी ऐसा संभव है लेकिन ऐसा कोई प्रामणिक वैज्ञानिक तरीका नहीं है जिससे आप अपनी हाइट 18 साल के बाद भी बढ़ा सकें।
आगे पढ़िए कि कौन से तरीके अपना कर पेरेंट्स या किशोर कोशिश कर सकते हैं, हाइट को ज्यादा करने की। यह बात ध्यान देने योग्य है, कि यह एक दिन का काम नहीं हैं वरन आपको लम्बे समय तक ऐसा करना होगा। खान-पान-सोने-जागने और रहनसहन सभी में परिवर्तन लाना पड़ेगा। अच्छी डाइट भी लेनी होगी। अच्छी लम्बाई पाने का कोई शोर्टकट तरीका हो भी नहीं सकता। शोर्टकट के चक्कर में हेल्थ न बर्बाद करें। दवाएं-गोली या इंजेक्शन के बहकावे में न आयें। ऐसा कोई तरीका नहीं जो कुछ दिनों में ही आपको लम्बा कर देगा।
फैक्टर्स जो हाइट पर असर डालते हैं:
- जेनेटिक्स
- आहार
- मानव ग्रोथ होर्मोन
- व्यायाम
- नींद
- शरीर में ऑक्सीजन
इन फैक्टर्स में से आप जेनेटिक्स को छोड़ बाकी चीजों पर काम कर सकते हैं और निश्चित ही लम्बाई में कुछ इंच बढ़ा सकते है। शुरू से ही बच्चों की उचित देखभाल और आहार पर ध्यान दिया जाना चाहिए। जो बच्चे ज्यादा अच्छे से सोते हैं उनमें विकास भी अधिक होता है, ऐसा माना जाता है। सोने के दौरान शरीर में ग्रोथ होर्मोन अच्छे तरीके से काम करते हैं। खाने में सही भोजन का चुनाव करना चाहिए और बच्चों को पिज़्ज़ा, बर्गर और कोल्ड ड्रिंक्स से तो दूर ही रखना चाहिए।
हाइट बढ़ाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कैल्शियम है। भोजन में कैल्शियम के अच्छे स्रोत दूध, दही, अंडे तथा अन्य डेयरी उत्पाद हैं। कैल्शियम हड्डियों के ज़रूरी है। जब हड्डियाँ बढ़ती हैं तभी हाइट बढ़ती है। कुछ लोगों में लेग लेंग्थ अधिक होती है जबकि कुछ में ऊपर का हिस्सा। हड्डियाँ लम्बी होने पर ही हाइट आती है। जापान के लोगों की ज्यादा हाइट को जाने वाले शोध दिखाते हैं कि पहले वहां के लोगों की डाइट में दूध शामिल नहीं था। वहां के शोधकर्ताओं ने इस बात के लिए जागरूकता बढ़ाई की दूध अच्छी हाइट के लिए कितना महत्वपूर्ण है। अमेरिकन और जैपनीज रिसेर्चेर्स के अनुसार दूध में करीब 50 हॉर्मोन पाए जाते हैं जिससे इसके हाइट पर हुए असर को समझा जा सकता है। जापान की सरकार और प्राइवेट सेक्टर ने दूध पीने को बहुत अधिक प्रमोट किया है। यह अब हर स्कूल, ऑफिस, रेलवे स्टेशन की वेंडिंग मशीन में उपलब्ध है।
कैल्शियम के साथ साथ मैग्नीशियम, क्रोमियम और जिंक भी ज़रूरी है।
मैग्नीशियम अच्छी नींद के लिए भी ज़रूरी है। जब नींद अच्छी है तो शरीर रिलैक्स होता है और ग्रोथ ठीक होती है।
सोयाबीन, सोया प्रोटीन भी बच्चों को ग्रोथ के लिए अच्छी गुणवत्ता का प्रोटीन प्रदान करता है। अगर आप शाकाहारी हैं तो आपको खाने में प्रोटीन के अच्छे स्रोत को खोजने में हमेशा संघर्ष करना पड़ता है। दाल, मिल्क प्रोटीन के अलावा सोयाबीन बच्चों के लिए अच्छे प्रोटीन का साधन हो सकते हैं। असल में पौधों से मिलने वाला प्रोटीन शरीर में अच्छे से अवशोषित नहीं हो पाता और इसलिए इसकी अधिक मात्रा ही ली जानी चाहिए। सोय प्रोटीन, सोया बीन्स से निकाला गया प्रोटीन है।
कुछ ऐसे खाद्य पदार्थों के बारे में भी जानना ज़रूरी है जो कैल्शियम के अवशोषण को कम करते हैं या होने नहीं देते। सॉफ्ट ड्रिंक्स, सिगरेट, शराब, चाय-कॉफ़ी, ज्यादा मिठाई या ज्यादा नमक, कैल्शियम के अवशोषण कम करता है। इसलिए यदि आप इस लिस्ट में से कोई भी सेवन करते हैं तो उसे न लें।
पानी अधिक मात्रा में पियें। इससे शरीर के टोक्सिन निकलते रहते हैं। शरीर में पर्याप्त पानी होने से खून पतला रहता हैं, आसानी से पोषक पदार्थों को मांसपेशियों और हड्डियों तक ले जाता है। इससे कब्ज़ भी नहीं होता और सही से पोषक पदार्थों का अवशोषण होता है।
खून की कमी न होने दें। एनीमिया से ग्रोथ नहीं पाती। कुपोषण से शरीर में आयरन के साथ साथ विटामिन बी काम्प्लेक्स और विटामिन सी की कमी भी होती है।
विटामिन डी और विटामिन A की कमी न होने दें। विटामिन ए और डी, वसा में घुलनशील विटामिन है। यह शरीर में कई प्रणालियों के विकास और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
विटामिन डी की कमी से कैल्शियम का अवशोषण नहीं हो पाता। यह विटामिन धूप में जाने पर हमारी त्वचा के द्वारा बनाया जाता है। इसकी कमी से ह्दीयाँ और दांत कमजोर हो जाते हैं।
विटामिन ए स्वस्थ त्वचा, दांत, स्केलेटल और ऊतक, और त्वचा को बनाए रखने में मदद करता है। इसे रेटिनॉल के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह आंखों की रेटिना में पिगमेंट का उत्पादन करता है। विटामिन ए विशेष रूप से कम रोशनी में अच्छी दृष्टि को बढ़ावा देता है। यह अधिकांश गाजर, पत्तेदार हरी सब्जियां, नारंगी और पीले सब्जियां, आम, तरबूज, पपीते, खुबानी, अमरूद, टमाटर उत्पादों, फलों और कुछ वनस्पति तेलों से मिलता है।
नींद कम से कम आठ घंटे की लें। कम देर सोने से शरीर में ग्रोथ हॉर्मोन ठीक से काम नहीं करते।
खाना हल्का लें। भारी भोजन से इन्सुलिन अधिक स्रावित होगा और सारी एनर्जी पाचन में ही लग जायेगी। दिन में कई बार छोटे भोजन लें।
ज्यादा मात्रा में कार्बोहायड्रेट, चावल आलू न खाएं। यह सब भी काम करने के लिए उर्जा पाने के लिए ज़रूरी हैं। लेकिन भोजन में केवल इनका सेवन, जैसे दिन में तीन बार, आपका पेट तो भर देगा लेकिन इससे प्रोटीन, कैल्शियम जैसे अन्य ज़रूरी भोज्य पदार्थों के लिए जगह ही नहीं बचेगी। इसलिए संतुलित भोजन करें जिसमें कार्बोहायड्रेट, प्रोटीन, विटामिन, मिनरल, और पानी सभी कुछ शामिल हो।
व्यायाम करें जिसमें शरीर को पोश्चर ठीक हो, पाचन हो, कब्ज़ न रहे, ठीक से भूख लगे और नींद आये।
ऐसे व्यायाम करें जिससे लिगामेंट और मांसपेशियाँ खिचें, जैसे:
- लटकें।
- स्ट्रेच करें।
- तैरने जाएँ।
- रस्सी कूदें।
ऐसे स्पोर्ट्स जिनसे शरीर स्ट्रेच होता है, मांसपेशियां विकसित होती हैं, जैसे बैडमिंटन, टेनिस खेलें।
आसनों में सूर्यनमस्कार आसन कई बार करें,
- सूर्यनमस्कार आसन
- भुजंगासन
- हलासन
- ताड़ासन
- पर्वतासन आदि कर सकते हैं।
- प्राणायाम, अनुलोम-विलोम, डीप ब्रीथिंग करें और संतुलित भोजन करें।
कुल मिलाकर देखें तो अच्छी हाइट के लिए आपको आहार और जीवन शैली पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है। संतुलित आहार, दूध का नियमित सेवन, प्राणायाम और व्यायाम से निश्चित रूप से अच्छा स्वास्थ्य और अच्छी हाइट पायी जा सकती है। बाजार में मिलने वाले उत्पादों के चक्कर में न पड़ें। यह प्रमाणित नहीं है। इनका शरीर पर क्या प्रभाव होगा कोई नहीं कह सकता। खासकर बच्चों को कोई ऐसा प्रोडक्ट न दें। ऐसे उत्पादों के चक्कर में समय, पैसा और स्वास्थ्य न बर्बाद करें।
All of us wants good height for our children. The genetics definitely influences the growth, height and physique of a person. It determines the average height of the family members. The studies show height depends on genetics about 60-80 %. Therefore, you may influence 20-40 % the other factors to improve chances of getting few inches more than estimated height based on your family. 2-4 inches make huge difference.
There is no shortcut to get good height. You have to make dietary and lifestyle changes. You need to be aware of the things that hinder the growth. The factors encouraging growth should be promoted.
This page is intended to give you information about how to help your child, boy or girl, to get more than average height. If you are teenager, below the age of 18 you should also give it a try.
We do not recommend any growth promoting medicine because such height promoting medicines may cause more harm than good. If you are concerned about height, it is always better to consult a doctor.