डेंगू (dengue) को हिंदी में हड्डीतोड़ बुखार, ब्रेकबोन फीवर, और दण्डक ज्वर Dengue in Hindi आदि के नाम से जाना जाता है। यह टाइगर मच्छर (एडिस एजिप्टी) के काटने से होने वाले रोग का नाम है। टाइगर मच्छर की टांगों पर काले-सफ़ेद रंग की धारियां होती हैं, यह आकार में बड़ा होता है, धीरे उड़ता है और दिन में काटता है।
डेंगू एक वायरल रोग है और इसके खिलाफ कोई भी टीका या दवाई उपलब्ध नहीं है। पहले के समय में डेंगू होने से बुखार होता था जो कुछ दिनों तक रह कर ठीक हो जाता था और कोई ज्यादा परेशानी नहीं होती थी। लेकिन आज के समय में होने वाला डेंगू कहीं ज्यादा खतरनाक है। यह हेमोरेजिक और जानलेवा हो सकता है।
डेंगू, चार तरह के डेंगू वायरस (डेनवी 1, डेनवी 2, डेनवी 3 या डीनवी 4) में से किसी एक के कारण होने वाली बीमारी है। संक्रमित मच्छरों के काटने से मनुष्यों को यह वायरस फैलता है। डेंगू बुखार के प्रमुख लक्षण उच्च बुखार, प्लेटलेट की कमी होना, गंभीर सिरदर्द, आँखों के पीछे गंभीर दर्द, जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों और हड्डी का दर्द, दाने, और ब्लीडिंग (जैसे, नाक या मसूड़ों से) हैं। एडीज एजेपिटी मच्छर इसका सबसे महत्वपूर्ण ट्रांसमीटर या वेक्टर है। हालांकि हवाई में 2001 का प्रकोप एडीस अल्बोक्टिक्टस द्वारा प्रेषित किया गया था । अनुमान है कि हर साल दुनियाभर में डेंगू के 100 मिलियन से अधिक मामले देखे जाते हैं।
डेंगू संक्रमण के उपचार के लिए एलॉपथी में कोई विशिष्ट दवा नहीं है। जिन लोगों को लगता है कि उन्हें डेंगू है, वे एसिटामिनोफेन के साथ दर्दनाशक दवाओं (दर्द निवारक) का उपयोग करना चाहिए। एस्पिरिन, ब्रुफेन, कॉम्बीफ्लेम, डिस्प्रिन आदि प्लेटलेट की संख्या कम करने वाली दवाओं का इस्तेमाल डेंगू फैलने के दौरान हुए बुखार में नहीं किया जाना चाहिए। किसी भी एलोपैथिक बुखार की दवा को लेने से पहले उसके पैक पर पढ़ना चाहिए कि कहीं इसमें एस्पिरिन तो नहीं है। डेंगू बुखार, जिसमें पहले से ही प्लेटलेट कम हैं, में दवा के खाने से प्लेटलेट और कम हो सकते हैं जिससे स्थिति बहुत जल्दी, अधिक गंभीर हो सकती है। इसलिए कभी भी एस्पिरिन और इसी तरह की दवाएं डेंगू बुखार में नहीं इस्तेमाल करें। केवल पैरासिटामोल का सेवन करें जिससे बुखार ज्यादा नहीं बढ़े।
आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी, और होमियोपैथी में इसकी दवाएं उपलब्ध हैं। डेंगू के सबसे प्रचलित और इफेक्टिव घरेलू उपचारों में गिलोय का काढ़ा, पपीते के ताज़े पत्ते का जूस, बकरी का दूध, एलो वेरा रस और अनार का रस शामिल है। घरेलू उपचार इफेक्टिव है और डेंगू से ठीक होने में मददगार है।
व्यक्ति को आराम करना चाहिए, बहुत सारे तरल पदार्थ पीने चाहिए। डॉक्टर से परामर्श करें यदि बुखार कम हो गया है लेकिन पहले 24 घंटों में लक्षण बहुत खराब हो रहे हैं जैसे उल्टी और गंभीर पेट दर्द, तो तुरन्त अस्पताल जाना चाहिए।
डेंगू बुखार और गंभीर डेंगू क्या है?
डेंगू एक संक्रमित मच्छर के काटने से संचारित एक वेक्टर-संबंधी रोग है। डेंगू के कारण वायरस के 4 सीरोटाइप होते हैं। इन्हें DEN-1, DEN-2, DEN-3, DEN-4 के नाम से जाना जाता है।
डेंगू रक्तस्रावी बुखार (डीएचएफ)
गंभीर डेंगू एक संभावित घातक जटिलता है जो डेंगू संक्रमण से विकसित हो सकता है। डेंगू हेमोरेजिक फीवर अधिक गंभीर रूप है।
डेंगू किन किन देशों में होता है?
डेंगू मुख्य रूप से एक मच्छर ( एडेस एज़िप्टी ) द्वारा प्रेषित है और सभी उष्णकटिबंधीय tropical देशों में देखा जाता है। एडीस एज़िप्टी तथा सम्बंधित मच्छर की प्रजातियाँ बहुत एडाप्टिव हैं और गर्म देशों के अलावा ग्रीष्म के दौरान यूरोप या उत्तरी अमेरिका में फैल सकती हैं और डेंगू के मामलों को बढ़ा सकती हैं।
डेंगू किसी भी समय हो सकता है जब तक मच्छर सक्रिय हैं। हालांकि, सामान्य तौर पर, उच्च आर्द्रता और 20 डिग्री से अधिक तापमान में इसके ट्रांसमिशन की संभावना बहुत अधिक होती है। भारत में यह गर्मी के मौसम से शुरू होकर दिसंबर के शुरू तक देखा जाता है।
डेंगू बुखार और गंभीर डेंगू के लक्षण क्या हैं?
डेंगू फ्लू जैसी लक्षणों से शुरू होता है और बुखार 2-7 दिनों तक रहता है।
संक्रमित मच्छरों के काटने के बाद 4-10 दिनों की इन्क्युबेशन पीरियड के बाद डेंगू बुखार होता है। डें
गू के मुख्य लक्षणों में चमड़ी पर छोटे गुलाबी दाने, दर्द (हड्डियों, सिर, आँखों, कमर, जोड़ों में), उलटी होना के साथ तेज बुखार आना शामिल है। हड्डियों में बहुत तेज दर्द होता है और ऐसा लगता है कि हड्डी टूट गई है। जोड़ फूल जाते हैं और स्प्लीन में भी सूजन आ जाती है।
प्लेटलेट गिरने लगते हैं और शरीर में सूजन दिखने लगती है।
अचानक उच्च बुखार (40 डिग्री सेल्सियस / 104 डिग्री फेरनहाइट) के साथ निम्न के लक्ष्ण हो सकते हैं:
- प्लेटलेट कम होना Reduced platelet count
- सिर दर्द Headaches
- आंखों के पीछे दर्द Pain behind eyes
- मतली उल्टी Nausea, vomiting
- सूजन ग्रंथियां Swollen glands
- जोड़ों, हड्डी या मांसपेशियों में दर्द Joint, bone or muscle pains
- लाल चकत्ते Rash
बुखार अचानक शुरू होता है और कुछ ही समय में 104 डिग्री हो जाता है। यह बुखार तीसरे दिन से कुछ कम होता है और पांचवे दिन बढ़ता है। इसके बाद सातवें दिन तक उतर जाता है। बुखार में कमजोरी, नींद नहीं आना, पलाप, उलटी, कब्ज़, जीभ मैला होना आदि दिखता है।
गंभीर डेंगू Severe dengue
गंभीर डेंगू, बुखार होने के 3-7 दिनों के बाद हो सकता है। अब बुखार कम हो जाएगा। इसका अर्थ यह नहीं है कि व्यक्ति आवश्यक रूप से ठीक हो रहा है। दूसरी ओर, इन चेतावनियों के लक्षणों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि इससे डेंगू गंभीर हो सकता है:
- गंभीर पेट दर्द Severe abdominal pain
- लगातार उल्टी Persistent vomiting
- मसूड़ों से खून बहना Bleeding gums
- उल्टी रक्त Vomiting blood
- तेजी से साँस लेने Rapid breathing
- थकावट / बेचैनी Fatigue/ restlessness
जब गंभीर डेंगू का संदेह हो, तो व्यक्ति को अस्पताल के आपातकालीन कक्ष में तुरंत पहुंचाया जाना चाहिए क्योंकि इसका कारण होता है:
प्लाज्मा लीक से शॉक और / या सांस की परेशानी के बिना द्रव का संचय हो सकता है (Plasma leaking that may lead to shock and/or fluid accumulation with/without respiratory distress)
- अत्यधिक रक्तस्राव Severe bleeding
- गंभीर अंग हानि Severe organ impairment
डेंगू का एलोपैथी Allopathic Treatment में क्या इलाज है?
डेंगू बुखार के लिए कोई वैक्सीन या विशिष्ट दवा नहीं है।
रोगियों को चिकित्सा सलाह, आराम और बहुत से तरल पदार्थ पीना चाहिए।
बुखार को नीचे लाने और जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए पेरासिटामोल को लिया जा सकता है। एस्पिरिन या आईबुप्रोफेन को नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि वे रक्तस्राव के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
डेंगू वायरस से ग्रस्त मरीजों को मच्छर काटने के बाद (4-5 दिनों के दौरान, अधिकतम 12) एडीस मच्छर दूसरों को ही यह रोग फ़ैल सकता है। एहतियाती दृष्टिकोण के रूप में, रोगी को विशेष रूप से उपचारित मच्छरदानी में सोना चाहिए।
गंभीर डेंगू की चेतावनी संकेत
जब गंभीर डेंगू की चेतावनी संकेत मौजूद हैं तो डॉक्टर से परामर्श करना और रोग का प्रबंधन करने के लिए अस्पताल में भर्ती करना जरूरी है। डेंगू रक्तस्रावी बुखार 2 से 7 दिनों तक रहता है। जब बुखार में उतरता है तो दूसरे लक्षण जैसे लगातार उल्टी, पेट में दर्द और साँस लेने में कठिनाई के लक्षण भी विकसित हो सकते हैं।
अगले 24 से 48 घंटे में रक्त वाहिकायें capillaries अत्यधिक पारगम्य leaky बन जाती हैं, जिससे तरल पदार्थ रक्त वाहिकाओं से निकल कर पेरिटोनियम (जलोदर ascites) और फुफ्फुसीय गुहा pleural cavity (leading to pleural effusions) में जाने लगता है।
इससे सर्कुलेटरी सिस्टम, की विफलता हो सकती है जिससे जान जा सकती है।
डेंगू में प्लेटलेट कम होने लगता है जिससे ब्लीडिंग होने के रिस्क बढ़ने लगते हैं। प्लेटलेट की संख्या को कम नहीं होने देने के लिए प्लेटलेट चढ़वाने होते हैं।
अगर सही तरीके से उचित समय पर इलाज नहीं किया गया हो, तो यह घातक हो सकता है। डीएचएफ उसी वायरस के संक्रमण से होता है जिससे डेंगू बुखार होता है। अच्छे चिकित्सा प्रबंधन के साथ, डीएचएफ की मृत्यु दर 1% से भी कम हो सकती है।
डेंगू रक्तस्रावी बुखार डीएचएफ, के लिए कोई विशेष दवा नहीं है। हालांकि इसका द्रव प्रतिस्थापन चिकित्सा fluid replacement therapy द्वारा प्रभावी ढंग से उपचार किया जा सकता है। डीएचएफ प्रबंधन के लिए अक्सर अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता होती है ।
इस रोग से ग्रसित होने से बचें।
डेंगू का घरेलू उपचार क्या इलाज है?
आयुर्वेद में हड्डीतोड़ बुखार के इलाज़ के लिए पपीते के पत्ते, गिलोय और एलो वेरा के रस का इस्तेमाल किया जाता है। शरीर को ताकत देने के लिए अनार का रस और बकरी का दूध देते हैं।
पपीते के ताज़े पत्ते का रस, प्लेटलेट की संख्या को बढ़ाता है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकलता है और प्रतिरोधक क्षमता में सुधार करता है। यह रोगनाशक है और डेंगू, चिकनगुनिया जैसे भयानक वायरल रोगों के उपचार में उपयोगी है। केवल पपीते के पत्ते के पत्तेदार हिस्से (डंठल छोड़ कर) ले और पानी से अच्छी तरह धो लें। खरल में डाल कर पत्ते अच्छी तरह से कुचल दें और साफ हाथों से रस निचोड़ लें। यस्क दिन में दो बार या आठ घंटे के अंतराल पर 10 मिलीलीटर रसका सेवन करें। पांच साल से बारह उम्र के बीच बच्चों को पांच मिलीलीटर और 5 साल से छोटे बच्चों को 2.5 मिलीलीटर रस दिन में दो बार दें ।
गिलोय का काढ़ा बनाकर दिन में तीन बार लेने से लीवर के ठीक से काम करने में मदद होती है। यह लीवर की रक्षा करने वाली और बुखार उतारने की बहुत ही इफेक्टिव हर्ब है। गिलोय का तना जो अंगूठे की मोटाई और करीब एक फुट की लंबाई का हो, उसे कूट कर करीब एक लीटर पानी में डाला जाता है। इसमें तुलसी के 7-8 पत्ते और काली मिर्च कूट कर डाली जाती है। इन सब को तब तक उबालते हैं जब तक पानी चौथाई नहीं हो जाए। जिन्हें यह काढ़ा पीने में दिक्कत होती हो वे इसे और अधिक पका कर पानी की मात्रा कम कर सकते हैं। काढ़े को पीने से पहले इसमें स्वाद को ठीक करने के लिए में शहद मिला सकते है। इसकी तीन बराबर डोज़ बनाकर रख लें और दिन में 3 बार पियें।
दशमूलादि क्वाथ से शरीर में वात और जोड़ों के दर्द में राहत होती है।
खाने में हल्का खाना, दूध, फलों का रस, इलेक्ट्रोलाइट समाधान (ओआरएस) और जौ/चावल का पानी का सेवन करें। नारियल पानी पीने से शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट की कमी नहीं होती. जब तक बुखार उतर नहीं जाए तरल आहार ही लिया जाना चाहिए। दूध और फलों के रस के सेवन से शरीर में कमजोरी कम करने में साहयता होगी और ज़रूरी पोषक पदार्थों की आपूर्ति भी होती रहेगी।
डेंगू की कुछ सिद्ध की दवाएं Dengue in Siddha कौन सी हैं?
Siddha system of Medicine groups all types of fever as single disease known as Suram including vector borne diseases like Malaria, Dengue. Among them Siddha equates the Dengue to Pitha Suram.
Management of Fever
- Nilavembu Kudineer: 30 ml two times a day for 7 days.
- Papaya Leaf Juice: 10 ml two times a day for 7 days.
- Adathodai kudineer
- Veppilai chooranam
- Amman Pacharisi Karkam
Prevention:
Nilavembu kudineer – 30 ml two times a day for 3 days.
Dengue hemorrhagic fever:
10-20 drops of Adathodai (Justicia adathoda) leaf juice mixed with equal quantity of honey may be given for Dengue hemorrhagic fever.
Prevention of Hemorrhagic symptoms
- Imbural vatakam
- Padiga poongavi Chenduram
- Kavikkal Chooranam
- Papaya leaf juice 5 ml Daily increases platelet production.
General health improvement
- Nellikai lehyam 5 Gm twice a day
- Triphalachooranam 2 tablet twice a day
- Amukkara chooranam 2 tablet twice a day
Prevention of recurrence
Regular usage of Nilavembu Kudineer and Adathodai Kudineer.
डेंगू की कुछ यूनानी दवाएं (Humma-e- Danaj) कौन सी हैं?
- बुखार के लिए Dafa’e Humma
- Habb-e-Ikseer Bukhar: 400 mg thrice a day with lukewarm water,
- Sharbat-e-Khaksi: 25-50 ml.
साथ में दी जाने वाली अन्य दवाएं
- Sharbat-e-Anar Shirin: 25-50 ml
- Khamira Marwareed (immunomodulatory): 3-5 g
- Majun Dabid-ul-Ward (hepato-corrective and hepato-protective): 5g twice a day.
- Jawarish Amla Sada (gastrointestinal symptoms including anorexia, nausea, and vomiting): 5 g twice a day and Jawarish Anarain: 5 g twice a day.
यदि मुझे संदेह है कि मुझे डेंगू है तो मुझे क्या करना चाहिए?
यदि आपको संदेह है कि आपको डेंगू है तो आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ। डेंगू बुखार का निदान करने के लिए, डॉक्टर कुछ टेस्ट करेंगे:
- लक्षणों का मूल्यांकन
- डेंगू के लिए खून का परीक्षण
Tests that may be done to diagnose this condition include: Antibody titer for dengue virus types. Complete blood count (CBC) Polymerase chain reaction (PCR) test for dengue virus types.
डेंगू और गंभीर डेंगू कैसे फैलता है?
डेंगू फीमेल एडीज एजेपी मच्छर Aedes aegypti के काटने से फैलता है । संक्रमित व्यक्ति को काटने पर यह मच्छर वायरस से संक्रमित हो जाता है। लगभग एक हफ्ते के बाद, यह संक्रमित मच्छर स्वस्थ व्यक्ति को काटते समय वायरस उसके शरीर में डाल देता है। मच्छर पानी से भरे हुए कंटेनर की तलाश में 400 मीटर की दूरी तक उड़ सकता है।
एडीज इजिप्ती डे टाइम फीडर है।यह सुबह के समय और शाम को अँधेरा होने से पहले काटता है। लेकिन आप को हमेशा मच्छर के काटने से बचना चाहिए।
डेंगू सीधे व्यक्ति से व्यक्ति नहीं फैल सकता है। हालांकि, डेंगू से पीड़ित व्यक्ति अन्य मच्छरों को संक्रमित कर सकता है। एडीस इजिप्ती एक के बाद एक बहुत लोगों को काटता है और इस कारण यह महामारी वेक्टर मच्छर है।
मच्छर कहां ब्रीड होते है?
डेंगू मच्छर अपने अंडे को घर के अंदर पानी से भरे हुए कंटेनर और घरों के आसपास के क्षेत्रों (यह गैर-इस्तेमाल की बोतलें, कंटेनर, त्याग किए गए कचरा, टायर इत्यादि शामिल है ।।। जो पानी को रोकते हैं) में देते हैं।
अंडे से लार्वा पानी के संपर्क में निकलते हैं लेकिन यह अंडे बहुत ड्राई स्थिति का सामना कर सकते हैं और महीनों तक जीवित रह सकते हैं।
वयस्क मच्छरों अंधेरे क्षेत्रों ( घरों के नीचे, बेड के नीचे, पर्दे के पीछे) छुप जाते है। यहां यह हवा, बारिश और अधिकांश शिकारियों से सुरक्षित होते हैं।
डेंगू न हो इसको कम करने के लिए क्या किया जा सकता है?
डेंगू को रोकने के लिए कोई भी टीका नहीं है। मच्छर प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले निवासियों के लिए सबसे अच्छा निवारक उपाय उन स्थानों को खत्म करना है जहां एज़िप्टि मच्छर अंडे देता है, मुख्य रूप से कृत्रिम कंटेनर जिनमें पानी भरा होता है। पानी वाली जगहों को सुखा देने से अंडों, लार्वा और प्यूपा की संख्या कम करने में मदद होती है। निम्नलिखित जगहों पर मच्छर अधिक पैदा होते हैं:
घर के अंदर
- गुलदस्ते, वास और तश्तरी
- रुका पानी जैसे जल भंडारण टैंक (घरेलू पेयजल, बाथरूम, आदि)
- प्लास्टिक के कंटेनर
- बोतलें
घर के बाहर
- छोड़े गए बोतलें और टिन
- टायर
- कृत्रिम कंटेनर
- पेड़ के छेद, गड्ढे, निर्माण स्थलों
- वर्षा का पानी एकत्र करने के लिए ड्रम
- विभिन्न पौधों की पत्तियां
- नौका, उपकरण, और पानी को रोक सकने वाले कंटेनर्स
जो पानी बारिश के पानी को इकट्ठा करता है या पानी को भंडारित करने के लिए उपयोग किया जाता है, उन्हें कवर किया जाना चाहिए। हफ्ते में कम से कम एक बार आवश्यक कंटेनर को रिक्त किया जाना चाहिए और साफ किया जाना चाहिए (अंडे को निकालने के लिए)।
व्यक्तिगत बचाव
- अपने आप को मच्छर के काटने से बचाया जाना महत्वपूर्ण है।
- लंबे बाजू वाले कपड़े पहनने चाहिए।
मच्छर रेपलेंट (DEET, IR3535 या Icaridin युक्त) सबसे व्यवहार्य विकल्प हैं। 20% से 30% डीईईटी युक्त मच्छर रेपलेंट का उपयुक्त प्रयोग, त्वचा और कपड़ों पर सक्रिय घटक के रूप में मच्छरों द्वारा काट लिए जाने के जोखिम को कम करता है। इनसे युक्त क्रीम, लोशन, स्प्रे जैसे ओडोमोस लगाना चाहिए।
खिड़की और दरवाज़े पर जाली लगवानी चाहिए।
मच्छरदानी/ नेट (और / या कीटनाशक युक्त नेट) सोते समय लागने से दिन के दौरान सो रहे बच्चों/बड़े को अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करेंगे।
घरेलू कीटनाशक गुड नाईट लिक्विड मशीन, मच्छर कॉइल या अन्य कीटनाशक वाष्पकारक भी मच्छरों को घर से दूर रखने और नहीं काटने देने में मदद करते हैं।
वास्तव में, डेंगू को रोकने में सभी की भागीदारी ज़रूरी है। हर घर में मच्छरों को कण्ट्रोल किया जाना चाहिए साथ ही सरकार द्वारा नालियों, गड्ढों, और अन्य ब्रीडिंग एरिया को नष्ट किया जाना चाहिए। नियमित फोगिंग की जानी चाहिए। इन सबसे डेंगू को कण्ट्रोल किया जा सकता है।
Dengue fever, also known as break bone fever, is an infectious tropical disease caused by the dengue virus. Symptoms include fever, headache, muscle and joint pains, and a characteristic skin rash. In a small proportion of cases the disease develops into the life-threatening dengue hemorrhagic fever, resulting in bleeding, low levels of blood platelets and plasma leakage, or into dengue shock syndrome, where dangerously low blood pressure occurs.
Dengue is a disease caused by any one of four closely related viruses (DEN-1, DEN-2, DEN-3, or DEN-4). The viruses are transmitted to humans by the bite of an infected mosquito (Aedes aegypti). The Aedes aegypti mosquito is the vector of dengue/DHF.
Dengue hemorrhagic fever (DHF) is a more severe form of dengue. It can be fatal if unrecognized and not properly treated. DHF is caused by infection with the same viruses that cause dengue. With proper management, mortality due to DHF can be reduced.
Transmission of Dengue
Bite of an Aedes mosquito that is infected with a dengue virus. The mosquito becomes infected with dengue virus when it bites a person who has dengue or DHF and after about a week can transmit the virus while biting a healthy person. Dengue cannot be spread directly from person to person.
Dengue Symptoms
high fever, severe headache, backache, joint pains, nausea and vomiting, eye pain, and rash
Dengue hemorrhagic fever Symptoms
fever is characterized by a fever that lasts from 2 to 7 days, with general signs and symptoms that could occur with many other illnesses (e.g., nausea, vomiting, abdominal pain, and headache). This stage is followed by hemorrhagic manifestations, tendency to bruise easily or other types of skin hemorrhages, bleeding nose or gums, and possibly internal bleeding. The smallest blood vessels (capillaries) become excessively permeable (“leaky”), allowing the fluid component to escape from the blood vessels. This may lead to failure of the circulatory system and shock, followed by death, if circulatory failure is not corrected.
Dengue Treatment
- Allopathy: No specific medication for treatment of a dengue. Supportive treatment.
- Ayurvedic, Siddha, Unani: Herbal treatment with herbs.
Home Treatment
Give wheat grass juice, Aloe vera juice and Giloy Kadha one after another to the patient. It will enhance the platelets and shows a positive result.
- Give Papaya leaf juice.
- Give Pomegranate Juice, Coconut water and Goat’s milk.
Homoeopathic Medicines
There are several references in the literature for treatment of dengue with homoeopathic medicines. The aim of treatment is to provide symptomatic improvement, minimize complications and promote early recovery.
Medicines most frequently indicated in cases of classical dengue fever are Aconitum napellus, Arnica montana, Arsenic album, Belladonna, Bryonia alba, Eupatorium
perfoliatum, Ferrum phosphoricum, Gelsemium, Ipecacuanha, Natrum muriaticum, Nux vomica, Pulsatilla and Rhus toxicodendron which are prescribed on the basis of symptom similarity.
Homoeopathic medicines can be given only as an add on supportive therapy. The group of medicines usually indicated includes Carbo vegetabilis, China, Crotalus horridus, Ferrum metallicum, Hamamelis, Ipecac., Lachesis, Millefolium, Phosphorus, Secale cornutum and Sulphuric acidum.
Prevention
Integrated mosquito control, with limited reliance on insecticides (chemical larvicides and adulticides).
Preventing epidemic disease requires a coordinated community effort to increase awareness about how to control the mosquito that transmits it.
Residents should be made responsible for keeping houses and surroundings free from mosquito breeding by emptying & scrub drying containers.