सौंफ जिसे अंग्रेजी में फेनल सीड्स कहते हैं, को तो सभी जानते हैं। यह एक मसाले की तरह, खाने में छौंक की तरह और जड़ी बूटी की तरह से प्रयोग की जाती है। इसके छोटे हरे दाने पौधे ( Foeniculum Vulgare) के बीज हैं। सौंफ में बहुत तरह के मेडिसिनल गुण हैं।
सौंफ को आपने भी कभी न कभी मुखवास की तरह खाना खाने के बाद चबाया होगा और ऐसा करने इसे आपको मुंह में फ्रेशनेस लगी होगी। असल में सौंफ को खाने के बाद चाबते ने से मुंह की दुर्गन्ध दूर होती है और दांतो में फंसा खाना भी इससे निकल जाता है। साथ ही सौंफ को छाने से मुंह में लार बनने लगता है जो पाचन को उत्तेजित करता है।
सौंफ को खाने के एक नहीं अनेकों फायदे हैं। इसमें बहुत से औषधीय गुण हैं जो इसे बीमारियों में भी इस्तेमाल के योग्य बनाते हैं। सौंफ का खाने से भूख ठीक से लगती है। यह पेट की गैस को कम करती है। इससे आँतों की ऐंठन, दर्द, और सूजन में भी आराम होता है। साथ ही सौंफ रोगाणुरोधी, कफ निस्सारक, मूत्रवर्धक, एंटी-कार्सिनोजेनिक और एंटी-ऑक्सिडेंट है।
सौंफ में पाया जाने वाले विटामिन्स और खनिज में, विटामिन सी, पोटेशियम, मैंगनीज, लोहा, फोलेट और फाइबर शामिल हैं। उड़ने वाले तेल की वज़ह से इसमें एक विशिष्ट खुशबू आती है। आपने देखा होगा, जब सौंफ पुरानी हो जाती है तो यह बिना गंध की हो जाती है ऐसा इसमें मौजूद तेल के उड़ जाने से होता है। आपने एक बात और नोटिस की होगी, कई बार जब आप मसाले की तरह इसे मार्किट से खरीद के लाते हैं तो यह खरीदी हुई सौंफ रूखी और बिना टेस्ट-अरोमा के होती है। ऐसा इसलिए होता है कि इस सौंफ के सत्व / तेल को निकाल लिया गया है और बची सौंफ को मसाले की तरह से बेच दिया गया है। इसलिए ऐसी सौंफ नहीं लें तो बेहतर।
इसमें विटामिन सी, पोटेशियम, मैंगनीज, लोहा, फोलेट और फाइबर भी शामिल हैं। यह फायटोनुट्रिएंट्स में भी समृद्ध है और इसमें वाष्पशील तेलों (वोलेटाइल आयल) की उच्च मात्रा है।
हरी सौंफ खाने के फायदे
अगर आप सौंफ खाते हैं, तो आपको निम्न फायदे मिलते हैं:
- सौंफ आँखों के लिए फायदा करती है।
- सौंफ का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है।
- सौंफ के मूत्रवर्धक गुण से यह वाटर रिटेंशन में फायदा करती है।
- सौंफ कैंसर से बचाती है।
- सौंफ खाने से पीरियड्स में ऐंठन, दर्द आदि में राहत होती है।
- सौंफ गैस, अफारा में लाभप्रद होती है।
- सौंफ चबाने से मुंह साफ़ होता है।
- सौंफ पाचन को बेहतर करती है।
- सौंफ पित्त की अधिकता, एसिड रिफ्लक्स, जलन आदि को कम करती है।
- सौंफ पित्त-वात को बैलेंस करती है।
- सौंफ बच्चे-बड़े सभी ले सकते हैं।
- सौंफ भूख बढ़ाती है।
- सौंफ मुंह को साफ़ करती है।
सौंफ के आयुर्वेदिक गुण और कर्म
स्वाद में यह मधुर, कटु, तिक्त, गुण में लघु और चिकनी है। स्वभाव से यह शीतल है और मधुर विपाक है। यह शीत वीर्य है। वीर्य का अर्थ होता है, वह शक्ति जिससे द्रव्य काम करता है। आचार्यों ने इसे मुख्य रूप से दो ही प्रकार का माना है, उष्ण या शीत। शीत वीर्य औषधि के सेवन से मन प्रसन्न होता है। यह जीवनीय होती हैं। यह स्तम्भनकारक और रक्त तथा पित्त को साफ़ / निर्मल करने वाली होती हैं।
- रस (taste on tongue): मधुर, कटु, तिक्त
- गुण (Pharmacological Action): लघु, स्निग्ध
- वीर्य (Potency): शीत
- विपाक (transformed state after digestion): मधुर
विपाक का अर्थ है जठराग्नि के संयोग से पाचन के समय उत्पन्न रस। इस प्रकार पदार्थ के पाचन के बाद जो रस बना वह पदार्थ का विपाक है। शरीर के पाचक रस जब पदार्थ से मिलते हैं तो उसमें कई परिवर्तन आते है और पूरी पची अवस्था में जब द्रव्य का सार और मल अलग हो जाते है, और जो रस बनता है, वही रस उसका विपाक है। प्रायः मधुर तथा लवण रस के पदार्थों का विपाक मधुर होता है, खट्टे पदार्थों का विपाक अम्लीय और तिक्त, कटु, कषाय रसों का विपाक कटु होता है। मधुर विपाक, भारी, मल-मूत्र को साफ़ करने वाला होता है। यह कफ या चिकनाई का पोषक है। शरीर में शुक्र धातु, जिसमें पुरुष का वीर्य और स्त्री का आर्तव को बढ़ाता है। इसके सेवन से शरीर में निर्माण होते हैं।
फेनेल सीड्स के प्रधान कर्म
- अनुलोमन: द्रव्य जो मल व् दोषों को पाक करके, मल के बंधाव को ढीला कर दोष मल बाहर निकाल दे।
- अम्लपित्तहर: एसिडिटी को कम करने वाला।
- आमदोषहर: टोक्सिन दूर करे।
- कफ नि:सारक: चिपके बलगम की चिपचिपाहट कम कर कफ को बाहर निकालने वाला।
- कफहर: द्रव्य जो कफ को कम करे।
- क्षुधावर्धक: द्रव्य जो भूख बढ़ाए।
- छर्दीनिग्रहण: उलटी रोकने वाला।
- तृष्णानिग्रहण: अधिक प्यास रोकने वाला।
- दीपन: द्रव्य जो जठराग्नि तो बढ़ाये लेकिन आम को न पचाए।
- मूत्रल : द्रव्य जो मूत्र ज्यादा लाये। diuretics
- रक्तप्रसादक: रक्त परिसंचरण को बढ़ाने वाला।
- शीतल: स्तंभक, ठंडा, सुखप्रद है, और प्यास, मूर्छा, पसीना आदि को दूर करता है।
- हृदय: दिन को ताकत देने वाला।
सौंफ के उपयोग एवं प्रयोग Saunf Khane Ke Fayde
सौंफ मुख्य रूप से पाचन की समस्याओं और विशेष रूप उलटी, दस्त, अतिसार और शरीर में पित्त की अधिकता में प्रयोग किया जाता है। इसके सेवन भूख ठीक से लगती है और पाचन अच्छा होता है। पेट से अफारा दूर होता है और ऐठन वाले दर्द में राहत होती है। यह शीतल गुण से शरीर में पित्त की अधिकता से होने वाली जलन को कम करता है। यह स्त्रियों सम्बन्धी दिक्कतों जैसे की मासिक के दौरान दर्द, ऐंठन, योनि में दर्द आदि में भी लाभप्रद है।
सौंफ खाने के बारे में नीचे पढ़ें और जाने:
सौंफ करे मुंह साफ
सौंफ चबाने से लार ग्रन्थियां सक्रिय होती हैं जिससे मुंह साफ़ होता है। इससे चिपका हुआ खाना भी निकल जाता है। चिपके हुए खाने के निकलने से मुंह में ताजगी आती है और बदबू भी नहीं आती। अगर आप तेज गंध वाले भोजन को खा रहें तो खाने के बाद एक चम्मच सौंफ चबा कर देखन। ध्यान रखें, इसे चबाना है और अच्छे से चबाना है।
सौंफ से हो पाचन पाचन ठीक
सौंफ पाचन में कई तरह से मदद करती है। पहले तो इसे चबाने से सालाइवा बनाता है जो पेट में जा कर पाचन ठीक से करने में मदद करता है। इसे बदहजमी नहीं होती है। पित्त संतुलित करने के गुण से यह एसिडिटी में लाभ करती है। इसे खाने से गैस भी कम बनती है जिससे अफारा, पेट फूलना, दर्द और पेट की जलन की समस्या नहीं रहती।
सौंफ, जी मिचलाना और उल्टी के इलाज में मदद करता हैं क्योंकि यह पेट के एसिड की मात्रा को कण्ट्रोल करता है।
सौंफ का पाउडर, पेट में एसिडिटी, श्लैष्मिक कला के शोथ को कम करता है। बदहजमी, पेट में जलन, अल्सर, एसिडिटी, खट्टी डकार, गैस, आमाशय शोथ, पेट फूलना आदि की समस्या में इसके पाउडर प्रयोग करके देखें। अधिक असर ले लिए, सौंफ का पाउडर, आंवले का पाउडर, धनिया का पाउडर और लिकोरिस पाउडर बराबर मात्रा में मिला कर रख लें। इसे 1 चम्मच की मात्रा दिन में दो बार है। हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, लम्बे समय तक उपयोग करने के लिए, इसमें लिकोरिस पाउडर नहीं मिलाएं।
पाचन अच्छा हो इसके लिए या तो आप सौंफ को चबा सकते हैं, यह इसे पानी में उबाल कर छान कर पी सकते हैं या इसका पाउडर बना कर सकते हैं। या फिर सौंफ, जीरा और काला नमक मिला कर रख लें और भोजन के बाद इसे गर्म पानी के साथ लें।
सौंफ कम करे वाटर रिटेंशन
कई बार होरमोन के प्रभाव, दवाओं के असर, नमक के ज्यादा सेवन या अन्य किसी क्कार्न से शरीर में पानी रुक जाता है। शरीर सूजा हुआ लगता है। ऐसे में सौंफ का सेवन करके देखें। सौंफ के सेवन से पेशाब ठीक से आने लगेगा जिस्सेपानी का शरीर में भराव कम होगा।
सौंफ से वजन कम करें
अधिक वज़न में सौंफ का नियमित सेवन करके देखें। इसे चबाने से भूख ठीक से लगेगी और मेटाबोलिज्म ठीक होगा। शरीर की सूजन उतरेगी और पेट भी साफ़ होगा। यह सब फैक्टर्स वज़न कम करने इमं मदद करेंगे।
सौंफ रोके ज्यादा प्यास लगना
अधिक प्यास लगती हो, तो सौंफ को चबा कर देखें।
सौंफ करे कैंसर से बचाव
सौंफ शरीर की सेल्स को बुरे केमिकल के असर से बचाती है। इसमें कैंसर रोधी, फायटो नुट्रिएंट्स भी पाए जाते हैं। इसमें एंटी-कार्सिनोजेनिक गुण है जो शरीर की रक्षा करते हैं।
सौंफ से पीरियड्स के दर्द को कहें बाय
सौंफ में ऐंठन को रोकने के गुण होते हैं जिससे पीरियड्स में होने वाले दर्द में फायदा होता है। यह योनि में दर्द में भी लाभप्रद है।
सौंफ फायदा करे सांस की तकलीफों में
सौंफ, में कफहर है। यह कफ दोष को कम करती है। इस गुण के कारण यह गले में सूजन, कफ अधिक होना, खांसी, सर्दी, फ्लू और साइनस कंजेशन में इस्तेमाल की जाती है। इसका काढ़ा सर्दी जुखाम में इस्तेमाल करें। इसमें मौजूद अल्फा-पिनेन alpha-pinene और क्रेओसॉल creosol से छाती की जकड़न दूर होती है। ग्रसनीशोथ और गले में दर्द, खराश या साइनस में इसके सेवन से लाभ होता है।
श्वशन रोगों में सौंफ को पानी में उबालें, छान लें और पियें। इसमें आप शहद भी मिला सकते हैं। दिन में दो या तीन बारइसे पियें।
आँखों के लिए सौंफ का लाभ
सौंफ खाने से आँखों का स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। सौंफ का प्रयोग आंखों के दबाव को कम करता है, और रक्त वाहिकाओं को फैलता है, मधुमेह रोगों में दृष्टि हानि से जुड़े रेटिनोपैथी को रोक सकता है, साथ ही यह यह मोतियाबिंद, एक दृष्टि-हानिकारक बीमारी को रोकने या उसके इलाज में भी मददगार साबित हो सकता है।
ब्रैस्टफीडिंग में सौंफ के उपयोग
सौंफ, स्तन्यजनन और स्तन्यवर्धक है। सौंफ के सेवन से माताओं का दूध सही उतरता है और साफ़ होता है। यह स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है। इसलिए ब्रेस्त्फीडिंग में इसका सेवन करना चाहिए।
बच्चों के पेट दर्द में करे सौंफ लाभ
छोटे बच्चों में गैस से पेट दर्द अक्सर देखा जाता है। ऐसे में सौंफ को उबाल कर काढ़ा बना लें। इसे छान लें। और ठंडा कर बच्चे को दिन में कई बार कुछ चम्मच की मात्रा में दें।
सौंफ से रोके कब्ज़
सौंफ में अघुलनशील फाइबर होते हैं जो आँतों में स्टूल को चिपकने नहीं देते जिससे कब्ज़ ठीक होता है।
सौंफ दे शरीर को ठंडक
ठंडी तासीर से यह शरीर में शीतलन प्रभाव डालते हैं और गर्मी के रोगों से राहत देते हैं
सौंफ और मिश्री के खाने के फायदे
सौंफ और मिश्री का सेवन गैस, कब्ज़, पाचन की समस्या में राहत देता है। पेट की गैस, कब्ज़, पाचन की समस्या होने पर सौंफ और मिश्री का पाउडर बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें। इसे प्रतिदिन रात को1 चम्मच पानी के साथ लें।
सौंफ और मिश्री का सेवनम, आँखों की रौशनी बढ़ाता है। , सौंफ और मिश्री को समान भाग ले का पीस कर रख लें और दिन में दो बार1 चम्मच पानी के साथ 2-3 महीने लें।
सौंफ, बादाम और मिश्री लेने से याददाश्त बढती है।
सौंफ का विभिन्न रोगों में प्रयोग
सौंफ को आप निम्न रोगों में इस्तेमाल कर सकते हैं:
- अतिसार Diarrhoea
- अधिक प्यास लगना Excess Thirst
- अपच Indigestion
- अफारा Flatulence
- अरुचि Anoraxia
- अल्पशुक्राणुता Low sperm count
- आईबीएस Irritable bowel syndrome
- आध्मान Adhmana (Flatulance with gurgling sound)
- उल्टी Vomit
- कम दिखाई देना Poor vision
- कृमि Krimi (Helminthiasis/Worm infestation)
- खट्टी डकार Indigestion
- खांसी cough
- गले में खराश Sore throat
- गले में दर्द Throat pain
- गैस Gas
- जी मिचलाना और उलटी Nausea and Vomiting
- दिल की कमजोरी Heart weakness
- पेट का दर्द Stomach ache
- पेट फूलना Bloating
- पेट में ऐंठन Abdominal cramps
- पेशाब का कम आना या रुक जाना Urine abnormalities
- पेशाब में जलन Dysuria
- भूख में कमी loss of appetite
- मतली Nausea
- मन्दाग्नि Mandagni (Impaired digestive fire)
- मसूड़े की सूजन swelling of gums
- मस्तिष्क, नसों और इंद्रियों की कमजोरी Weakness of the brain, nerves and senses
- माँ का दूध कम आना Mother’s milk loss
- मासिक धर्म के दौरान दर्द Pain during menstruation
- मुख दुर्गन्ध Mouth freshener
- योनि शूल Yoni shula
- रक्त विकार blood disorder
- वात-पित्त रोग
- शिशु के पेट में दर्द Baby stomach ache
- शूल Shula (Colicky Pain)
- श्वशन संबंधी रोग Respiratory disease
- स्तन के दूध की खराब गंध Bad odor of breast milk
सौंफ कैसे खाएं
आप सौंफ को रोजाना खाने के बाद ऐसे की चबा सकते हैं। आप इसका पाउडर बना कर रख सकते हैं जिसे 1-2 चम्मच की मात्रा में खाने के साथ ले सकते हैं। आप सौंफ का अर्क खरीद सकते हैं। इसकी चाय और काढ़ा भी बना सकते हैं।
सौंफ की चाय, बनाने के लिए एक चम्मच सौंफ को कूट कर एक कप पानी में उबाल लें और 5 मिनट पकाएं। इसे छान लें। शहद या गुड़ को मिलायें और पीयें। बुत गर्म चाय में शहद नहीं मिलाएं।
सौंफ खाने से नुकसान
सौंफ एक मसाला है। यह सेफ है और निर्धारित मात्रा में खाने से कोई विशेष साइड इफ़ेक्ट नहीं देखा जाता।
ज्यादा सौंफ खायेंगे तो हो सकता है आपकी त्वचा धुप के लिए अधिक संवेदनशील हो जाए। ऐसे में धूप में जाने से सनबर्न की संभावना बढ़ जायेगी।
सामान्यतः सौंफ़ का सेवन करना सुरक्षित है। लेकिन कुछ लोगों में जिन्हें अजवाइन, गाजर, सेलेरी, ) आदि से एलर्जी होती है उन्हें इसके सेवन से भी एलर्जी हो सकती है। उन्हें त्वचा पर कुछ एलर्जी के लक्षण दिख सकते है। कुछ अन्य लक्षणों में शामिल हैं:
- खुजली, चकत्ते
- जीभ, गले की सूजन
- मुंह में खुजली
- मुंह में नंबनेस
- होठ सूजना आदि।
सौंफ़ के कुछ असर एस्ट्रोजन की तरह हो सकते है। एस्ट्रोजन Estrogen अंडाशय ovaries द्वारा निर्मित होता है और इसे “महिला/फीमेल” हार्मोन माना जाता है। यह हार्मोन महिलाओं में यौन अंगों की वृद्धि और विकास तथा प्रजनन प्रणाली reproductive system में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मासिक धर्म चक्र के दौरान एस्ट्रोजन गर्भावस्था के लिए उपयुक्त वातावरण का निर्माण करने के लिए कार्य करता है और गर्भावस्था होने पर यह नाल/प्लेसेंटा से प्रोजेस्टेरोन progesterone के उत्पादन को प्रेरित करता है।
ऐसा रोग, जिसमें एस्ट्रोजेन के असर से स्थिति ज्यादा खराब हो जाए, तो सौंफ़ को नहीं लेना चाहिए, जैसे स्तन कैंसर, गर्भाशय कैंसर आदि।
प्रेगनेंसी – गर्भावस्था में सौंफ
गर्भावस्था में सौंफ के सेवन से जी मिचलाना, उलटी, कम भूख आदि में फायदा होता है। लेकिन इसे प्रेगनेंसी में कम मात्रा 6 ग्राम से कम, में ही खाना चाहिए।
सौंफ अधिक मात्रा में सौंफ emmenagogue है। घरेलू उपचार में इसे ज्यादा मात्रा में लेते हैं तो पीरियड्स खुल के आता है। इसलिए इस प्रभाव को देखते हुए इसे प्रेगनेंसी में कम खुराक में कभी कभी ही खाएं।