बहुत से लोगों को शिकायत होती है कि पेट साफ नहीं होता। वे देर तक टैलेट में बैठे रहते हैं और शौच के लिए कोशिश करते हैं। आंतो पर जोर लगाते है। इस तरह की स्ट्रेनिंग से आँतों में दरार आ सकती है और पाइल्स के मस्से बन सकते हैं। इसलिए रोज पेट साफ होना बहुत ज़रूरी है। पेट साफ नहीं होता तो पेट में भारी पन होता है। गैस बनने लगती है। नींद नहीं आती है और दूसरी स्वास्थ्य तकलीफें हो सकती हैं।
तुरंत पेट साफ करने के तरीके
अगर कब्ज़ हो जाए तो निम्न तरीके से पेट साफ करें:
हरितकी चूर्ण का सेवन करें
हरितकी अनुलोमन है। यह आंतों को स्टूल निकालने के लिए उत्तेजित करती है। यह रेचक है। रात को छोटी हर्रे का चूर्ण, आधे से चार ग्राम की मात्रा में रोज सोने से पहले पानी के साथ लें। चूर्ण की मात्रा को बढ़ा या घटा भी सकते हैं। चूर्ण की मात्रा उतनी लें जिससे पेट ठीक से साफ हो। ज्यादा लेंगे तो दस्त हो सकती है।
भुनी सौंफ खाएं
खाने के बाद हलकी भुनी सौंफ को चबाएं। इससे पेट साफ करने में मदद होगी। इससे भोजन को पचाने में मदद होती है।
जीरा पाउडर बनाकर खाएं
जीरा पाउडर का सेवन करें। इससे कोलेस्ट्रोल कम होता है।
ड्राई फ्रूट्स का सेवन करें
रात को सोने से पहले 3-4 मुनक्के और सूके अंजीर को गर्म पानी में भिगो लें, सुबह इसे मसल कर खा लें। ऐसा नियमित करें। इससे पेट साफ होगा।
अलसी के बीजों को खाएं। एक गिलास दूध पी लें।
त्रिफला पाउडर खाएं
सोने से पहले त्रिफला पाउडर को गर्म दूध के साथ लें।
नींबू पानी पियें
सुबह गिलास में नींबू का रस निचोड़ें और पी जाएँ।
रेड़ी का तेल पियें
रात को सोने से पहले पीने वाला कैस्टर आयल दूध में मिलाकर पी जाएँ।
बादाम तेल पी लें
बादाम का तेल, दूध में मिलाकर पी जाएँ।
इसबगोल की भूसी लें
इसबगोल की भूसी को मुख्य रूप से कब्ज़ में लिया जाता है। इस भूसी में प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला जेलैटिनस पदार्थ होता है जो पानी में भिगोने पर जेल बनाता है। इसबगोल का कोई स्वाद और गंध नहीं होता है। पानी को सूख लेने पर यह फूल जाता है और बल्क लेक्सेटिव का काम करता है। यह आँतों के रास्ते को फैलाने में मदद करता है और आंत्र आंदोलन को बढ़ावा देता है। इसतरह से कब्ज़ में कठोर स्टूल को आगे बढ़ाता है जिससे कब्ज़ से राहत होती है।
सुबह उठते ही पेट साफ होने के उपाय रोजाना दिन में ये करें
पानी पियें
दिन में ज्यादा पानी पियें। एक दिन में अनुशंसित आठ गिलास पानी पियें। इससे मल को नरम करने में मदद मिलती है, और इससे स्टूल निकालने में मदद हो जाती है।
फल खाएं
ताज़े फल, विशेष रूप से ड्राई फ्रूट खाएं। यह फाइबर युक्त हैं और पेट साफ करने में मदद करते हैं, पानी के साथ, मिलकर स्टूल निकालने में मदद करते हैं। किशमिश, मुनक्का आदि खाएं।
फाइबर का सेवन करें
सब्जियां फाइबर में भी अधिक होती हैं और पेट साफ करने में मदद कर सकते हैं। सेम, फलियां, सलाद, और कच्ची सब्जियां फाइबर में अधिक होती हैं, जिससे उन्हें कब्ज राहत और रोकथाम के लिए बहुत अच्छा विकल्प मिल जाता है। पूरे अनाज की रोटी, दलिया, जौ, और गेहूं की चोटी खाएं । एक दिन में 35 ग्राम फाइबर तक खाएं।
पुदीने की चटनी बना कर खाएं
पुदीना पेट के लिए अच्चा है। इसकी चटनी बना कर खाएं।
रोज धनिया की चटनी बनाकर खाएं
धनिया के पत्तों की चटनी बना कर खाएं।
दही में जीरा सेंधा नामक दल कर खाएं
दही को भोजन में शामिल करें। इसमें जीरा पाउडर और सेंधा नामक मिलाकर खाएं।
ठंडा पानी नहीं पियें
पीने में हल्का गर्म पानी पियें।
अगर, आप ये करेंगे तो आपका पेट साफ नहीं होगा
पानी कम पीते हैं
शरीर में ड्राईनेस है, तो पेट साफ नहीं होगा। पानी कम पीते हैं तो आपका पेट किसी भी उपाए से साफ़ नहीं होगा। आंतें सूखी हैं, मल सूखा है तो आँतों में भोजन आगे नहीं बढ़ेगा और पेट साफ नहीं होगा।
डेयरी उत्पाद अधिक खाते हैं
डेयरी उत्पाद से कब्ज नहीं होती है, लेकिन डेयरी में लैक्टोज गैस का उत्पादन कर सकता है। इसके अलावा, पनीर से भरे हुए खाद्य पदार्थ आमतौर पर संतुलित भोजन का हिस्सा नहीं होते हैं।
पूरे दिन कॉफी या कैफीनयुक्त ड्रिंक पीते हैं
काफी, चाय, कोल्ड ड्रिंक और कैफीन वाले ड्रिंक पीते हैं तो पेट साफ़ नहीं होगा। कैफीन एक उत्तेजक है जिससे आंते उत्तेजित होती हैं। लेकिन यह निर्जलीकरण भी कर सकता है, जिसका विपरीत प्रभाव हो सकता है और कब्ज हो सकता है ।
डायबिटीज है
अगर डायबिटीज है तो भी कब्ज़, बवासीर, फिशर की समस्या रहेगी। ऐसा में पहले कब्ज़ का इलाज़ करें।
लाइफ स्टाइल खराब है
कोई व्यायाम नहीं करते, घर पर पड़े रहते हैं और किसी भी तरह की ऐसी हरकत नहीं करते है जिसमें आपको चलना फिरना पड़े तो आपको कब्ज़ की समस्या रहगी ही।
फाइबर कम लेते हैं
आप फाइबर नहीं लेते, चिकना, भारी और जंक खाना खाते हैं, तो भी आपको कब्ज़ रहेगा ही।
संसाधित खाद्य पदार्थों नहीं खाएं। प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में ज्यादा फाइबर नहीं होता है।
ज्यादा शराब पीते हैं
बहुत ज्यादा शराब पीते हैं। कैफीन की तरह, अल्कोहल आपको निर्जलीकरण कर सकती है और कब्ज पैदा कर सकती है।
शराब पीने से डायरेरिस या पेशाब होती है । अधिक डायरेरिस निर्जलीकरण का कारण बन सकता है , जो कब्ज के लक्षणों को और भी खराब कर सकता है। इसी तरह, कैफीन एक उत्तेजक है जो कुछ व्यक्तियों में दस्त के विपरीत प्रभाव का कारण बन सकता है ।”
आपके अल्कोहल सेवन सीमित करने से कब्ज से छुटकारा पाने में मदद मिल सकती है।
प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ का सेवन करते हैं
प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ वसा में अधिक होते हैं, जो पाचन को धीमा कर देते हैं और कब्ज में योगदान देते हैं। प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में ऐसे `ऐसे पदार्थ होते हैं जिनको पचाने के लिए हामे शरीर में एंजाइम नहीं होते और यह हमारी प्राकृतिक पाचन प्रक्रियाओं को नष्ट करते हैं। इन्हें खाने से पेट फूलना कब्ज, दस्त और गैस आदि लक्षण होते हैं क्योंकि यह शरीर में पचते ही नहीं हैं।
आयरन और कैल्शियम सप्लीमेंट लेते हैं
आयरन और कैल्शियम की खुराक कब्ज पैदा कर सकती है, क्योंकि वे दोनों जीआई सिस्टम के संकुचन को धीमा कर सकते हैं । यदि आपको इन की कमी है और इन विटामिनों को आम तौर पर डॉक्टरों द्वारा अनुशंसित किया जाता है तो आप हमेशा अपने चिकित्सक से वैकल्पिक विकल्पों के लिए पूछ सकते हैं जैसे इन खाद्य पदार्थों में से अधिक लोहा में अधिक खाना । हो सकता है कि आपको इन दुष्प्रभावों को सहन करने में मदद करने के लिए एक रेचक की आवश्यकता हो।
दवाओं का सेवन करते हैं
कई दवाएं कब्ज में योगदान दे सकती हैं, जिनमें ओवर-द-काउंटर और नुस्खे एनएसएडी दर्द राहत जैसे इबुप्रोफेन और नैप्रोक्सेन शामिल हैं।
किसी भी विरेचक का नियमित इस्तेमाल नहीं करें। इससे आंते कमज़ोर हो सकती हैं। लक्सेटिव्स का लंबी अवधि पर उपयोग करने से शरीर आंत्र आंदोलन के लिए उत्तेजक लक्सेटिव्स पर निर्भ रहो सकता है। आपका कोलोन स्वयं पर उत्तेजित होने की क्षमता खो सकता है। लंबे समय तक रेचक प्रभाव से जुड़े कई साइड इफेक्ट्स में शामिल है, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन, दौरे, हृदय एराइथेमिया, मांसपेशियों में दर्द, आदि।
दवा लेने से पहले, बॉक्स पर खुराक के निर्देशों का पालन करें। डॉक्टर की सलाह बिना एक या दो सप्ताह से अधिक समय तक किसी भी प्रकार के रेचक का उपयोग न करें। आप एक अलग प्रकार के रेचक या फाइबर-बल्किंग एजेंट लें। नियमित प्रोबियोटिक उपयोग सुरक्षित है।
भोजन में परिवर्तन करें और ज़रूरत पड़े और दवा लेनी भी हो तो बदल बदल कर लें। नियमित सलाद और फल सब्जियों का सेवन करें। आँतों में चिपकने वाली चीजें नहीं खएं। मैदा वाले भोजन का सेवन नहीं करें। गरिष्ठ और बिना रेशे वाला भोजन नहीं करें। चोकर वाली रोटी खाएं। दिन में दही खाएं जिससे अच्छे बैक्टीरिया की ग्रोथ हो। पेट साफ हो इसके लिए दवाओं पर निर्भरता छोड़ें। गलती कहाँ हो रही है जाने और उपचार करें।