अमलतास को राजवृक्ष, आरग्वध, कृतमाला, व्याधिघात, समोपका, निप्रदुमा (संस्कृत) आदि नाम से जाना जाता है। औषधीय उद्देश्य के लिए जड़ों, स्टेम छाल, पत्तियां, फूल, फल और पेड़ के फल की लुगदी का उपयोग किया जाता है।
अमलतास एक मध्यम आकार का पेड़ है, जो पूरे भारत में उगता है। यह एक पर्णपाती पेड़ है, जिसमें पीले फूल आते हैं। यह 6 से 9 मीटर लंबा होता है, तथा इसमें लंबे बेलनाकार काले-भूरे रंग के फली लगती है जो 25 से 50 सेमी लंबी होती हैं और इनकी चौड़ाई 3 सेमी तक होती है। इसे आम तौर पर 1200 मीटर की ऊंचाई तक देश के अधिकांश हिस्सों में सजावटी पेड़ के रूप में लगाया जाता है।
अमलतास पेड़ का सबसे महत्वपूर्ण औषधीय भाग फल की लुगदी है (बीज, सेप्टा और पेरीकार्प के टुकड़े के बिना)। पकी हुई काली फली एकत्र कर यह लुगदी अलग की जाती है और इसे सुखा लिया जाता है।
यह पित्त और आमदोष को कम करता है। यह रेचक है। जब पानी से लिया जाता है तो यह गंभीर प्रकार के गृध्रसी (कटिस्नायुशूल) को भी ठीक करता है।
अमलतास के पेड़ के विभिन्न हिस्सों का का प्रयोग कुष्ठ रोग, बुखार, हृदय रोग, पीलिया, कब्ज, त्वचा रोग, यौन रोग, कीड़े के कारण उपद्रव, मधुमेह आदि के इलाज में किया जाता है।
अमलतास को बुखार, हृदय रोग, गठिया और पेट में हवा ऊपर की और आना तथा कब्ज़ में दिया जाता है। अमलतास मृदु (मुलायम), मीठा और स्वभाव से ठंडा है।
कैसिया फिस्टुला के सबसे महत्वपूर्ण फाइटोकेमिकल घटक शक्तिशाली फेनोलिक एंटीऑक्सिडेंट्स जैसे एंथ्राक्विनोन, फ्लैवोनोइड्स और फ्लैवन -3-ओएल डेरिवेटिव हैं। एंथ्राक्विनोन इसके रेचक प्रभाव के लिए ज़िम्मेदार है और इसलिए इसे उत्तेजक रेचक के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।
अमलतास के नाम
- संस्कृत: आरग्वध, कृतमाला, व्याधिगत, समोपका, नृपदुमा
- अग्रेजी: golden shower, Indian laburnum, pudding pipe tree, purging cassia, purging fistula
- असमिया: सोनारू
- गुजराती: गरमाला
- बंगाली: सोंडाला
- हिंदी: अमलतास
घटक
- ग्लाइकोसाइड
- एंथ्राक्विनोन फिस्टुलिक एसिड,
- sennosides
- शुगर Saccharose
- स्टेरोल्स
अमलतास का आयुर्वेदिक गुण और कार्य
केसिया फिस्चुला को आरग्वध, राजवृक्ष, शम्पाक, चतुरजुल, प्रग्रह, कृतमाल, कर्णकार, अवधातक; आदि नामों से जानते हैं। इसमें निम्न आयुर्वेदिक गुण हैं:
- रस (जीभ पर स्वाद): मधुर (मीठा)
- गुण (औषधीय क्रिया): गुरु (भारी), स्निग्ध
- वीर्य (एक्शन): शीत (कूलिंग)
- विपाक (पाचन के बाद परिवर्तित): मधुरा (मीठा)
अमलतास की आयुर्वेदिक क्रियाएँ
- विरेचन: द्रव्य जो पक्व अथवा अपक्व मल को पतला बनाकर अधोमार्ग से बाहर निकाल दे।
- कफहर: द्रव्य जो कफदोष निवारक हो।
- वातहर: द्रव्य जो वातदोष निवारक हो।
- अनुलोमन: द्रव्य जो मल व् दोषों को पाक करके, मल के बंधाव को ढीला कर दोष मल बाहर निकाल दे।
- कृमिघ्न: पेट के कीड़ों को नष्ट करना।
बायोमेडिकल एक्शन
- ज्वरघ्न: बुखार के खिलाफ प्रभावी।
- एंटीइन्फ्लेमेटरी: Anti-inflammatory सूजन को कम करना।
- एंटीऑक्सीडेंट: मुक्त कणों और अन्य पदार्थों के ऑक्सीडेंट प्रभाव को निष्क्रिय करना।
- रेचक: आंत्रों को निकालने या उत्तेजित करने के लिए प्रेरित करना।
- हेपेटोप्रोटेक्टीव: यकृत को नुकसान से रोकें।
कैसिया फिस्चुला संकेत
कैसिया फिस्टुला में रेचक और purgative है। यह मुख्य रूप से कब्ज, कम भूख और सूजन में दिया जाता है। यह जलन के साथ जुड़े रक्तस्राव विकारों के इलाज में भी उपयोगी है। यह शक्ति में ठंडा है और पित्त और गर्मी को कम करता है। जड़ी बूटी की मुख्य क्रिया परिसंचरण और पाचन तंत्र पर देखी जाती है।
- अवशोषण में कमी
- आंत के कीड़े
- कब्ज
- खुजली
- गठिया
- गण्डमाला
- घाव
- चर्म रोग
- जलन का अहसास
- जिगर की बीमारियां
- पेट में दर्द
- बुखार
- भूख में कमी
- मधुमेह
- रक्तस्राव विकार
- सूजन
अमलतास के स्वास्थ्य लाभ
कैसिया फिस्टुला में रेचक, purgative, immunomodulator, घाव उपचार, antifertility और antiparasitic प्रभाव के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसका उपयोग जलन, सिफिलिस और कब्ज का इलाज करने के लिए किया जाता है।
आधे कप गर्म पानी के साथ 5 ग्राम कैसिया लुगदी और आधा ग्राम अजवाइन पाउडर दिन में एक बार दैनिक, लेने से भूख की कमी का इलाज किया जाता है।
कैसिया फलों का गूदा पानी या दूध में थोड़ा सा चीनी के साथ मिलाकर कर, पांच दिनों के लिए प्रतिदिन दो बार, नाक से ब्लीडिंग के लिए दिया जाता है।
अमलतास कब्ज़ में प्रभावी
कब्ज़ कठोर मल से जुड़ी स्थिति होती है। कसिया फिस्टुला कब्ज के इलाज के लिए सुरक्षित और प्रभावी हर्बल विकल्प है। यह हल्का रेचक और purgative भी है। लुगदी में मौजूद एंथ्राक्विनोन डेरिवेटिव्स के कारण इसमें कैथर्टिक और रेचक प्रभाव पड़ता है।
कैसिया फिस्टुला कॉलोन में तरल पदार्थ के सूखने के मामले में फायदेमंद है। परिपक्व फल से लुगदी एकत्रित कर, संरक्षित करके और बोतलों में रखा जाता है। कब्ज के लिए, दिन में एक बार चीनी और पानी के साथ फल लुगदी ली जाती है।
कब्ज और आंतों के कीड़े से छुटकारा पाने के लिए भोजन के बाद शाम को आंवले के आकार में लुगदी का सेवन किया जाना चाहिए। यह आंतों और गैस की परेशानी और आंतों को सुदृढ़ करने में मददगार है।
गंभीर कब्ज के मामले में पत्तियों को पकाया जाता है और पत्तेदार सब्जियों के रूप में खाया जाता है।
कैसिया फिस्टुला अमवत (रूमेटिक / रूमेटोइड गठिया) के लिए है। रूमेटोइड गठिया एक पुरानी प्रगतिशील बीमारी है जो जोड़ों में सूजन पैदा करती है और जिसके परिणामस्वरूप दर्दनाक विकृति और अस्थिरता होती है, खासकर उंगलियों, कलाई, पैर और एड़ियों में।
कैसिया फिस्टुला फेनोलिक एंटीऑक्सिडेंट्स में समृद्ध है जैसे एंथ्राक्विनोन, फ्लैवोनोइड्स और फ्लैवन-3-ओ डेरिवेटिव्स। पूरे वर्ष उपलब्ध पेड़ की पत्तियों में भी गठिया विरोधी गतिविधि होती है। अध्ययन से पता चलता है कि वृक्ष में अच्छी तरह से एंटीगठिया गतिविधि है। 12-24 ग्राम पत्तियों को घी में तल कर और दिन में दो बार दिया जाता है।
क्रोनिक खांसी में कैसिया फिस्टुला
कैसिया फिस्टुला में कफ कम करने की गतिविधि प्रदर्शित करता है। घी में फल लुगदी का काढ़ा पका कर औषधीय घी तैयार करें। इस घी को 12-24 ग्राम की मात्रा में लिया जाता है।
रिंगवॉर्म में कैसिया फिस्टुला
त्वचा रोगों में कैसिया फिस्टुला पत्तियां और बीज का उपयोग किया जाता है। पत्तियों में राइन और सेनोसाइड्स ए और बी होते हैं। पत्तियों में एंटीइन्फ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरिया होते हैं। पत्तियों का रस रिंगवार्म के लिए ड्रेसिंग के रूप में उपयोगी है।
कैसिया फिस्टुला Contraindications
- गर्भावस्था में इसके प्रयोग से बचें।
- इसमें रेचक क्रिया है, इसलिए दस्त में न लें।
- अतिरिक्त खुराक में, यह purgation का कारण बनता है।